सोमवार, 20 नवंबर 2023

'तेरी ही मुहब्बत मिले' कविता

'तेरी ही मुहब्बत मिले'   कविता 

हर जनम में तेरी ही मुहब्बत मिले
तेरा किंकर रहूँ तेरी खिदमत मिले

रास्ता है कठिन है और लम्बा सफर ,
धूप को छाँव के जैसी चाहत मिले

दुनियाँ में जिस तरफ जाए प्यासी नजर,
उस तरफ बस तेरी ही नजाकत मिले।
गम के माहौल में तेरी मुस्कान से
तेरे महबूब के दिल को राहत तेरा

आँखों में तन्हाइयाँ जब भी दिखें मुझे,
तब तेरी आँखों में ही शराफत मिले।

जब हँसी वादियाँ मुझसे मुंह मोड़ लें,
तब तेरे ही गुलिस्ताँ में दावत मिले।

ठोकरें जब जमाने की खाये सुधीर,
तेरी मूरत की ही तब इनायत मिले।
कृति:- सुधीर यादव

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