बुधवार, 11 अक्टूबर 2023

विरोध की चिंगारी 'संपादकीय'

विरोध की चिंगारी    'संपादकीय' 

उत्तर प्रदेश की राजनीति को केंद्र की राजनीति की नींव से परिभाषित करने पर कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा विरोधी गतिविधियां प्रत्यक्ष रूप से सक्रिय हो गई है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में सरकार सनातन आस्था विरोधी गतिविधियां, कानून लागू करना, हिंदुत्व की भावना को पीड़ा प्रदान करने का कार्य कर रही है। 
हो सकता है कि कानून जनहित में लागू किया गया हो ? परंतु सनातन समुदाय को ठेस पहुंचाने वाला व्यक्ति 'शिवशक्ति' विरोधी होने का दंभ तो कर ही रहा है। यह किसी एक व्यक्ति का विचार नहीं है। बल्कि, संपूर्ण सनातन अनुयायियों की आस्था है। 'हिंदू रक्षा दल' के अध्यक्ष के विरुद्ध कानूनी कारवाई का प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ रहा है। 
आस्था के बीच में आने वाला कोई भी साधारण या विशेष व्यक्ति घृणा और दुत्कार का अधिकारी बन जाता है। हिंदू रक्षा दल के द्वारा योगी विरोधी कोई बयान जारी नहीं किया गया है। 
किंतु उसके विचार के समर्थन का दायरा बढ़ गया है। वहीं, परोक्ष रूप से भाजपा विरोधी विचारधारा का दायरा तीव्र गति से असीमित होता जा रहा है। भाजपा की नीतियों में केवल राजनीतिक एजेंडा शेष रह गया है। 
सत्तारूढ़ भाजपा नेतृत्व में विवेकहीनता का आधिपत्य स्थापित हो गया है। ऐसे नियम लागू करना, जन मानस की आस्था को हताहत करने के समान है। जिसे कोई भी आस्तिक व्यक्ति, किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। परिणाम स्वरुप महंत यति नरसिंहानंद ने योगी आदित्यनाथ और लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश) को खुले मंच से ललकारा है। असभ्यता, अशिष्टता और अभद्रता की पाराकाष्ठा को पार कर दिया है। महंत के बयान से संत और सरकार, दोनों के विरुद्ध अपना रोष प्रकट किया गया है।
इससे सीएम योगी के सम्मान को ठेस पहुंचना स्वाभाविक है। लेकिन ऐसे हालत क्यों उत्पन्न हुए ? इस पर विचार करने की आवश्यकता है। यति के विरुद्ध भी स्थानीय पुलिस ने नियम अनुसार कार्रवाई की है। परंतु विरोध की चिंगारी का प्रसार स्थापित हो गया है। हिंदू विरोधी सरकार का विचार जनता के मन में घर करने लगा है। सत्ता का लोभ और दमनकारी नीतियों का विश्लेषण स्वयं जनता अपने आप करने के लिए आगे आ खड़ी हुई है। यह विरोध स्वाभाविक है या कोई छलावा है ? इसका निष्कर्ष लोकसभा चुनाव परिणाम ही बता पाएंगे।
राधेश्याम  'निर्भयपुत्र'

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