रविवार, 10 सितंबर 2023

संयुक्त राष्ट्र सहित निकायों में सुधारों पर जोर दिया

संयुक्त राष्ट्र सहित निकायों में सुधारों पर जोर दिया

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र सहित वैश्विक निकायों में सुधारों पर नए सिरे से जोर दिया और कहा कि दुनिया की ‘‘नयी वास्तविकताएं’’ ‘‘नयी वैश्विक संरचना’’ में प्रतिबिंबित होनी चाहिए क्योंकि यह प्रकृति का नियम है कि जो नहीं बदलते हैं समय के साथ उनकी प्रासंगिकता खत्म हो जाती है।
जी20 शिखर सम्मेलन के ‘एक भविष्य’ सत्र में बदलाव की जरूरत वाले निकाय के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का हवाला देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि दुनिया को बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए वैश्विक निकायों को आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 51 सदस्यों के साथ हुई थी, तो दुनिया अलग थी और अब सदस्य देशों की संख्या लगभग 200 हो गई है। मोदी ने कहा, ‘‘बावजूद इसके, यूएनएससी में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं। तब से आज तक दुनिया हर लिहाज से बहुत बदल चुकी है। परिवहन हो, संचार हो, स्वास्थ्य, शिक्षा, हर क्षेत्र का कायाकल्प हो चुका है। ये नयी वास्तविकताएं हमारी नयी वैश्विक संरचना में प्रतिबिंबित होनी चाहिए।’’
यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते वर्षों में अनेक क्षेत्रीय मंच अस्तित्व में आए हैं, और ये प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं।’’ सुधारों की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि इसीलिए शनिवार को अफ्रीकी संघ को जी20 का सदस्य बनाकर एक ऐतिहासिक पहल की गई।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसी तरह, हमें बहुपक्षीय विकास बैंक के ‘मैंडेट’ का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले तुरंत होने चाहिए और प्रभावी भी होने चाहिए।’’ मोदी ने अपने संबोधन में साइबर सुरक्षा और ‘क्रिप्टो करेंसी’ को दुनिया के वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करने वाले ज्वलंत मुद्दों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी सामाजिक व्यवस्था और मौद्रिक एवं वित्तीय स्थिरता के लिए एक नया विषय है। उन्होंने इसे विनियमित करने के लिए वैश्विक मानकों के विकास की मांग की।
मोदी ने कहा कि साइबर जगत आतंकवाद के लिए वित्त पोषण का एक नया स्रोत बनकर उभरा है और इसे सुरक्षित करने के लिए वैश्विक सहयोग और ढांचा आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हर देश की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब हम हर देश की सुरक्षा और संवेदनशीलता का ख्याल रखेंगे तो ‘एक भविष्य’ की भावना मजबूत होगी।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया नयी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी में अकल्पनीय पैमाने और गति देख रही है। उन्होंने उदाहरण के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का हवाला देते हुए कहा कि जी20 देशों को 2019 में समूह द्वारा अपनाए गए ‘‘एआई पर सिद्धांतों’’ से आगे बढ़ने की जरूरत है। मोदी ने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि अब हम जिम्मेदार मानव केंद्रित सुशासन के लिये एक फ्रेमवर्क तैयार करें। इस संबंध में भारत भी अपने सुझाव देगा।
हमारा प्रयास होगा कि सामाजिक-आर्थिक विकास, वैश्विक कार्यबाल और अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में सभी देशों को एआई का लाभ मिले।’’ जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण के बजाय मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के लिए अपने प्रयास पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि भारत ने मानवता के हित में अपने चंद्र मिशन के डेटा को सभी के साथ साझा करने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने कहा, ‘‘यह मानव-केंद्रित विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया को ‘‘वैश्विक परिवार’’ को वास्तविकता बनाने के लिए ‘‘वैश्विक गांव’’ की अवधारणा से आगे जाने की जरूरत है। उन्होंने एक ऐसे भविष्य का आह्वान किया जिसमें न केवल देशों के हित जुड़े हों बल्कि उनके दिल भी जुड़े हों। उन्होंने कहा, तेजी से बदलती दुनिया में टिकाऊ और स्थायित्व की भी उतनी ही जरूरत है जितनी परिवर्तन की। बाद में, मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘‘केवल जीडीपी केंद्रित दृष्टिकोण रखना पुराना हो गया है।
अब समय आ गया है कि प्रगति का मानव केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाया जाए। भारत इस संबंध में कई प्रयास कर रहा है, खासकर डेटा और प्रौद्योगिकी से संबंधित क्षेत्रों में। हमें सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एआई का उपयोग करने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं वह करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हम अपने विकास पथ पर आगे बढ़ रहे हैं, हमें अपना ध्यान निरंतरता और स्थिरता पर रखना चाहिए। इससे हाशिए पर रहने वाले लोगों का सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा।’’

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