'मेरा संविधान मेरा स्वाभिमान' कार्यक्रम आयोजित
'मेरा संविधान मेरा स्वाभिमान' के संग्राम में हम सब संविधान बचाने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं:- अरशद अली
बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक के प्रदेश अध्यक्ष जनाब शाहनवाज आलम साहब के निर्देशानुसार एक सितंबर से छः सितंबर तक 'मेरा संविधान मेरा स्वाभिमान' कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। संविधान को बचाने की जिम्मेदारी हम सब भारत के लोगो की है। आईए इस संग्राम में हम सब अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
प्रयागराज आज दिनाक 1:7:2023 को करेली गोसिया मस्जिद के सामने जुमा की नमाज के बाद अल्पसंख्यक कांग्रेस के पदाधिकारियों ने मेरा संविधान मेरा स्वाभिमान का पर्चा बाटा और लोगो से संवाद करते हुए शहर अध्यक्ष अरशद अली ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देव राव ने एक अखबार में लेख लिखकर मौजूदा संविधान की जगह नया संविधान लाने की बात की। इससे पहले भी कि सरकार के मंत्री अनंत हेगडे कह चुके है।
भाजपा सत्ता में आई ही संविधान बदलने के लिए है। मोहन भागवत भी पहले यह कह चुका है। यानी कोई वजह नहीं की लेख में व्यक्त विचारों से मोदी सरकार की मंशा न मानी जाए। हालांकि यह कोई नया राग नहीं है। 26 नवंबर 1949 को देश में संविधान अंगीकार किया था, जिसके चार दिन बाद ही 30 नवंबर को आरएसएस ने अपने मुखपत्र ऑर्गनाइजर में लिख दिया था कि देश संविधान से नहीं मनुस्मृति से चलना चाहिए। 2002 में भी अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने संविधान की समीक्षा के लिए आयोग का गठन कर दिया था लेकिन तब पूर्ण बहुमत न होने और जनता के विरोध भांप कर संघी सरकार पीछे हट गई थी। लेकिन 2014 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने दुबारा संविधान बदलने की साज़िश शुरू कर दी।
इसके लिए राज्यसभा में भाजपा सांसदों द्वारा संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और सेकुलर शब्द हटाने की मांग वाले निजी बिल भी पेश किये गाए।याद रहे ये दोनों शब्द इन्दिरा गांधी जी की सरकार ने संविधान में जोड़ा गया ।जिसे सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि इस संसद भी नहीं बदल सकती।
शहर अध्यक्ष अरशद अली ने कहा कि आज अगर कमजोर तबकों और अल्पसंख्यक को बराबरी का अधिकार हासिल है तो सिर्फ इन्ही दो शब्दों के कारण। भाजपा चोरी छुपे संविधान को कमजोर करने में तो पहले से ही लगी हुई थी। मसलन उसने कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए कानून जिसमें दलितों की जमीन कोई गैर दलित नहीं खरीद सकता को शहरों के विकास के नाम पर युपी में खत्म कर दिया है वैसे ही पूजा स्थल अधिनियम 1991 को भी खत्म करने की कोशिश सरकार कर रही है जिसमें जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 के दिन तक पूजा स्थलों का जो चरित्र था वो बदला नहीं जा सकता। ऐसे करके भाजपा पूरे देश में सांप्रदायिकता धूर्वीकरण करना चाहती है। संविधान को बचाने की जिम्मेदारी हम सब भारत के लोगो की है। आइये एक सितम्बर से छः सितंबर तक
मेरा संविधान मेरा स्वाभिमान कार्यक्रम में शामिल होकर संविधान बचाने के इस संग्राम में हम सब अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
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