कर्म का फल 'अध्यात्म'
सरस्वती उपाध्याय
एक बार भगवान शिव और माता पार्वती एक मंदिर के पास से गुज़र रहे थे। माता पार्वती की नज़र एक पति-पत्नि के जोड़े पर पड़ती है, जो मंदिर से दर्शन कर के आ रहे थे। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उन की हालत देखकर माता पार्वती भगवान शिव से कहती है," प्रभु आप इन दोनो पर कृपा क्यों नहीं करते। "
भगवान शिव कहते हैं, " मैंने तो बहुत बार कोशिश की परंतु यह अपने कर्मों के कारण उस का फल नहीं भोग पाते।
माँ पार्वती कहती है, " आप एक बार मेरे कहने पर इन पर कृपा कर दो।
भगवान शिव माता पार्वती की बात मान जाते है और कहा कि , " मैंने इन के 100 कदमों की दूरी पर सोने के सिक्के रख दिए है. जब वह वहां तक पहुँचेगे तो देख सकेंगे।" माता पार्वती प्रभु का कथन सुनकर सोचती है कि अब इन दोनों को अमीर बनने से कोई नहीं रोक सकता।
अभी वह पति -पत्नी 10 कदम ही चले होते हैं कि पीछे से सुंदर भजन की आवाज आती है। मुड़कर देखते हैं तो एक अंधे पति -पत्नी का जोड़ा भजन गा रहे होते हैं। वे दोनों रुककर उन्हें देखने लगते हैं और उनके चले जाने के बाद दोनों कहते हैं, " पति अंधा सो अंधा पर उसकी पत्नी भी अंधी।"
यह कहकर उस का पति उस अंधे व्यक्ति की तरह भजन गाता हुआ उस की नकल करते हुए आगे चलने लगता है। उस की पत्नी उस से कहती है कि ,"अगर उन की नकल ही करनी है तो क्यों ना हम भी उनकी ही तरह आँखें बंद करकर भजन गुनगुनाएं ।" और वह दोनों ऐसा ही करते हैं।
जहाँ पर भगवान शिव ने सिक्के रखे होते हैं वह रास्ता दोनों पति- पत्नी आँखे बंद कर के निकल जाते हैं।
यह सब देख माँ पार्वती कहती है, " प्रभु आप ठीक ही कहते थे। यह अपने कर्मों के कारण ही इस हालत में है।"
भगवान शिव बताते हैं कि यह पति- पत्नी अपनी श्रद्धा से मंदिर नहीं आते थे। अपने पड़ोस के पति -पत्नी की नकल करके मंदिर आते थे।
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