2 रुपए की रिश्वत, 37 साल बाद फैसला आया
अविनाश श्रीवास्तव
पटना। पुलिस पर अवैध वसूली करने का आरोप अक्सर लगता रहता है। खासकर वाहन चेकिंग और ओवरलोडिंग जैसे मामलों में हर दिन पुलिस पर कई लोग अलग अलग तरह के आरोप लगाते हैं। ऐसे में एक मामले में ट्रक से 2 रुपए की अवैध वसूली करने वाले पुलिसवालों से जुड़े एक मामले में 37 साल बाद कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। यह मामला बेगूसराय के लाखो पोस्ट से जुड़ा था, जहाँ 5 पुलिसवालों को 2 रुपए की अवैध वसूली करते एसपी ने खुद पकड़ने का दावा किया था।
दरअसल, 10 जून 1986 को बेगूसराय के तत्कालीन एसपी अरविंद वर्मा को सूचना मिली कि लाखो चेक पोस्ट पर वाहनों से अवैध वसूली की जाती है। आरोप सीधे पोस्ट पर तैनात पुलिसवालों पर लगा था तो खुद एसपी ने इसकी जांच और पुलिस वालों को रंगेहाथों पकड़ने की चुनौती ली। उस दिन एसपी अरविंद वर्मा खुद एक ट्रक पर सवार हुए। उन्होंने ट्रक के खलासी को एक 2 रुपए का नोट दिया जिस पर उनका हस्ताक्षर था। जैसे ही ट्रक लाखो चेक पोस्ट पहुंचा वहां मौजूद पुलिसवालों ने खलासी से 2 रुपए ले लिए।
हालांकि ट्रक पर सवार एसपी जब सिविल ड्रेस में नीचे आए तो पुलिसवालों की जांच शुरू हो गई। कहा गया कि उस दिन पुलिसवाले के पास से 8 रुपए मिले। इसमें 2 रुपए का वह नोट भी शामिल था जिसे एसपी ने हस्ताक्षर कर दिया था। अवैध उगाही के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी ने बड़ी कार्रवाई की। होमगार्ड जवान रामरतन शर्मा सहित कैलाश शर्मा, राम बालक राय, ग्यानी शंकर सिंह और युगेश्वर महतो को आरोपी बनाया गया। इस मामले में उस समय बेगूसराय के तत्कालीन नगर अंचल निरीक्षक सरयुग बैठा ने केस दर्ज किया था।
वहीं अब 37 साल के बाद इस मामले में भागलपुर के विजिलेंस कोर्ट के विशेष जज सह एडीजे-2 की अदालत ने सभी पांच आरोपी पुलिसवालों को बरी कर दिया है। ऐसे में 37 साल पहले जहाँ 2 रुपए की वसूली के चक्कर में पांच पुलिसवालों को आरोपित बनाया गया था, वहीं अब उन्हीं पुलिसवालों के बाइज्जत बरी हो जाने से फिर से यह मामला सुर्खियों में बन गया है।
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