पहले अध्ययन करें मान फिर बयान बाजी करें
पंकज कपूर
शिमला। कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को सलाह दी है कि पहले पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 का अध्ययन कर लें। उसके बाद बयानबाजी करें। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पंजाब में अपना वैध हिस्सा 7.19 फीसदी मांग रहा है।
अब चाहे वह चंडीगढ़ में हो या फिर बीबीएमबी परियाेजनाओं में रायल्टी हो। सचिवालय में सोमवार को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत अंतरराज्यीय समझौतों को लेकर मंत्रिमंडलीय उप-समिति की बैठक आयोजित हुई।
कृषि मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कमेटी के सदस्य उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और जगत सिंह नेगी शामिल थे। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने पंजाब के मुख्यमंत्री के पिछले दिनों आए बयान पर अपनी बात रखी।
बैठक में मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड (बीबीएमबी) और केंद्र शासित राज्य चडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी मांगने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है। इस बैठक में बीबीएमबी और चंडीगढ़ में हिस्सेदारी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे मामलों को अधिकारियों से फीडबैक लिया।
अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि सर्वोच्च न्यायालय में प्रदेश का पक्ष मजबूती के साथ रखा जाए। इसमें किसी प्रकार की कोई कोताही न हो। इस मामले की सर्वाेच्च न्यायालय में 26 जुलाई को सुनवाई प्रस्तावित है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार की ओर से बीबीएमबी और केंद्र शासित राज्य चंडीगढ़ में हिस्सेदारी की लंबे समय से लड़ाई लंबे समय से लड़ी जा रही है। इस मामले की अगली सुनवाई आने वाले दिनों में होनी है। उन्होंने कहा कि बीबीएमबी के साथ ही चंडीगढ़ में भी हिमाचल की हिस्सेदारी है और हिमाचल 7.19 प्रतिशत हक मांग रहा है।
मुख्यमंत्री मान के बयान पर भी किया पलटवार
वहीं, उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत मान के बयान पर भी पलटवार किया और उन्हें पहले पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का अध्ययन करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल केवल अपना हक मांग रहा है, भगवत मान को पहले पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का पूरी तरह से अध्ययन करना चाहिए और उसके बाद ही किसी तरह की बयानबाजी करनी चाहिए।
भगवंत मान ने ये कहा था
पिछले दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भारी वर्षा के बाद पड़ोसी राज्य पंजाब में गए पानी को लेकर कहा था कि हिमाचल सरकार अपना पानी संभाल ले। इसके अतिरिक्त सरकार की ओर से प्रस्तावित जल उपकर भी नहीं मिलेगा।
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