दुष्कर्म में रहें असफल, चलती ट्रेन से फेंका
दुष्यंत टीकम
ग्वालियर। बीस जून की आधा रात को मुजफ्फरपुर.सूरत एक्सप्रेस में इस महिला के साथ जो हुआ उसे शायद ही वह कभी भूल पाए। उसके दोनों हाथ बुरी तरह से जख्मी हैं। पैरों में भी गंभीर चोट है। फिलहाल वह चल फिर नहीं पा रही है। ग्वालियर के जिस जयारोग्य अस्पताल में उसका इलाज चला, वहां भी वह डरी-डरी रही।
चिकित्सकों ने बताया कि जब डाक्टर या नर्स भी पट्टी करने के लिए उसे छू रहे थे तो वह चीख पड़ती थी। जब पुलिस अधिकारी उसके बयान लेने पहुंचे तो वह बिलख पड़ी और बार बार यही कह रही थी कि उसे उसके गांव पहुंचा दो। उसे अब शहर नहीं जाना।
बत्तीस साल की इस महिला को उसके परिवार वाले ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल से शुक्रवार को अपने गांव झारखंड ले गए हैं। वह चलने फिरने की स्थिति में नहीं है। जब पुलिस और कुछ सामाजिक संगठनों के लोगों ने उससे बात करने की कोशिश की तो वह बार बार हाथ जोड़ती और रोने लगती। वह इस कदर डर गई कि अपनों को देखकर भी चीख रही थी।
साथ में मौजूद रिश्तेदार युवक से वह कह रही थी कि उसे अपने बच्चों के पास जाना है। अपने गांव जाना है। अब वह शहर नहीं जाएगी। इलाज करने वाले चिकित्सकों ने बताया कि शरीर का कोई भी अंग ऐसा नहीं है जहां उसके चोट न हो। सिर में भी जगह.जगह जख्म हैं। पैर की हड्डी में भी चोट है। चेहरे पर भी कई जगह पत्थरों की रगड़ के निशान हैं।
झाड़ियों में गिरे थे दोनों, हाथ, पैर और कमर में घुस गए थे कांटे
झारखंड के पलामू शहर के एक गांव निवासी युवक और उसकी महिला रिश्तेदार को मंगलवार की रात करीब बारह बजे मुजफ्फरपुर.सूरत एक्सप्रेस से ग्वालियर के पास बिलौआ के जंगल में फेंक दिया गया था।
बदमाशों ने महिला से दुष्कर्म का प्रयास किया था। नाकाम रहने पर दोनों को चलती ट्रेन से फेंक दिया गया था। जहां यह दोनों गिरे वहां काफी झाड़ियां थीं। झाड़ियों के कांटे इन दोनों के शरीर में जगह जगह घुसे थे। चिकित्सकों ने बताया कि दोनों के शरीर से ही कांटे निकाले गए थे।
जंगल में जहां भी रोशनी दिखी उधर ही चल पड़ा युवक
ग्वालियर के पास बिलौआ थाना क्षेत्र में रेलवे लाइन किनारे दोनों को फेंका गया था। जहां दोनों गिरे वहां जंगल ही जंगल है। क्योंकि महिला गिरते ही बेहोश हो गई थी लिहाजा उसका रिश्तेदार युवक महिला को कंधे पर लेकर निकल पड़ा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.