1.2 अरब डॉलर के कर्ज का भुगतान रोका: कंपनी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। शिक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी बायजू ने मंगलवार को कहा कि उसने अमेरिकी कर्जदाताओं की ‘उसे नुकसान पहुंचाने’ की तरकीबों का हवाला देते हुए 1.2 अरब डॉलर के कर्ज का भुगतान रोक दिया है और इस मामलें को अमेरिकी अदालत में ले गई है।
भारतीय स्टार्टअप बायजू ने अमेरिकी निवेश प्रबंधन कंपनी रेडवुड के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकदमे में कहा है कि अमेरिकी कंपनी ने उसके फंसे कर्ज का एक हिस्सा खरीद लिया है जो उसके मियादी ऋण की शर्तों के खिलाफ है। बायजू ने 1.2 अरब डॉलर के कर्ज पर ब्याज के एवज में चार करोड़ डॉलर का भुगतान भी नहीं किया है। जबकि उसे यह राशि सोमवार तक जमा करनी थी। बायजू ने मंगलवार को बयान में कहा कि उसने 1.2 अरब डॉलर के कथित सावधि कर्ज (टीएलबी) की अदायगी रोकने का फैसला किया है और इस संबंध में न्यूयॉर्क की शीर्ष अदालत में मुकदमा दायर किया गया है। उसने कहा कि मामले का अदालत से निपटारा न होने तक वह कोई भुगतान नहीं करेगी।
इसके पहले बायजू को कर्ज देने वाली फर्म जीएलएएस ट्रस्ट कंपनी और निवेशक टिमोथी आर पॉल ने भुगतान में देरी करने को लेकर बायजू की अमेरिकी इकाइयों के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। इस मामले में बायजू अल्फा और टैंजिबल प्ले के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। कर्जदाताओं का कहना था कि इन दोनों फर्मों ने बायजू अल्फा से 50 करोड़ डॉलर की राशि दूसरी कंपनी को भेज दी।
ये दोनों फर्म बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट की अनुषंगी हैं। बायजू का आरोप है कि उसके कर्जदाताओं ने मार्च में गैरकानूनी ढंग से 1.2 अरब डॉलर के कर्ज को जल्द चुकाने का दबाव बनाया और बायजू अल्फा का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया। हालांकि, शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी ने कहा है कि वह अपने कर्जदाताओं के साथ बातचीत के लिए अब भी तैयार है। लेकिन इसके लिए अमेरिकी कर्जदाताओं को अपने कदम वापस लेने होंगे और मियादी ऋण की शर्तों का पालन करना होगा। बायजू को कोविड-19 महामारी के बाद वित्त की कमी का सामना करना पड़ रहा था।
इसकी वजह से उसने अपने कर्जदाताओं से बकाया कर्ज का पुनर्गठन करने की भी कोशिश की थी। लेकिन यह बातचीत बीच में ही टूट गई थी और कर्जदाताओं ने बायजू की अमेरिकी इकाई का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था।
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