रविवार, 14 मई 2023

मां प्रकृति ‌  'कविता'

मां प्रकृति ‌  'कविता'


मां के बारे में क्या लिखूं ? जिसने मुझे खुद लिखा है


वंदना गुप्ता

मां की एक दुआ जिंदगी बना देगी, 

खुद रोएगी मगर, तुम्हें हंसा देगी। 

कभी भूल कर भी ना मां को रुलाना, 

एक छोटी-सी गलती पूरा अर्थ हिला देगी। 

मां ने होती तो वफा कौन करेगा ?

ममता का हक भी कौन अदा करेगा ? 

रब हर एक मां को सलामत रखना, 

वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा ? 

आंख खोलो तो चेहरा मेरी मां का हो, 

आंख बंद हो तो सपना मेरी मां का हो। 

मैं मर भी जाऊं तो भी कोई गम नहीं, 

लेकिन कफन मिले तो दुपट्टा मेरी मां का हो। 

सब कुछ मिल जाता है दुनिया में,

मगर याद रखना कि बस मां-बाप नहीं मिलते।

मुरझा कर जो गिर गया एक बार डाली से, 

यह ऐसे फूल है, जो फिर नहीं खिलते।

मैं हार भी जाऊं तो मां मुस्कुराते हुए गले लगाती है, 

ना जाने इतनी मोहब्बत मां कैसे कर पाती है ?

मां की एक दुआ जिंदगी बना देती है, 

क्योंकि मां-मां होती है।

मां के बिना जीवन की उम्मीद नहीं की जा सकती,

अगर मां न होती तो हमारा अस्तित्व ही ना होता,

मां... प्रकृति भी है इस संसार की,

जिसका बेटा कोई अच्छा, कोई खोता।

इस दुनिया में मां दुनिया का 

सबसे आसान शब्द है,

मगर इस नाम में भगवान खुद वास करते है। 

मां शब्द छोटा जरूर है,

जिसके जरिए पूरे विश्व में गाय-भैंस घास करते हैं।

मां शब्द पूरी दुनिया पर भारी है,

इस नाम के ऊपर तो हर जगह मारामारी है।

जब नवजात शिशु इस दुनिया में आता है,

ना वो पानी पी सकता,

ना खाना खा पाता है।

सबसे ज्यादा खुशी नवजात की मां को होती है, 

उसके लिए तो उसकी हजारों औलादें भी,

एक लोटी दिखती है।

जैसे मानो की दुनिया की सबसे कीमती चीज उन्हें मिल गई हो,

मां अपने बच्चो के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती है।

मनुष्य में ही नहीं,

हर प्रकार के जीव जंतु में यही होता है... मां का प्यार। 

अगर बच्चों पर आंच आने वाली होती है,

तो मां सबसे पहले आगे खड़ी होती है।

मां की जगह कोई नहीं ले सकता,

मां तो मां होती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  1. अंक-374, (वर्ष-11) पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254 2. शुक्रवार, दिसंबर 27, 2024 3. शक-1945, पौष, कृष्ण-पक्ष, त...