सूचना प्रौद्योगिकी नियम में संशोधन वापस, अनुरोध
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) ने बुधवार को केंद्र से सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 में संशोधन वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि उससे (सरकार से) जुड़ी सामग्री को ‘फर्जी’ या ‘गुमराह करने वाला’ बताने के लिए एक तथ्यान्वेषी इकाई गठित करना ‘‘सेंशरशिप’’ के समान है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करता है। आईएनएस ने यह उल्लेख किया कि नये अधिसूचित नियमों के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास एक तथ्यान्वेषी इकाई गठित करने की शक्ति होगी, जिसके पास यह निर्धारित करने की असीम शक्तियां होंगी कि क्या केंद्र सरकार के किसी कामकाज से जुड़ी कोई खबर क्या ‘‘फर्जी या झूठी या गुमराह करने वाली’’ है?
इस तथाकथित इकाई के पास सोशल मीडिया मंचों, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और अन्य सेवा प्रदाताओं सहित मध्यस्थों को इस तरह की सामग्री की अनुमति नहीं देने और प्रकाशित होने पर उन्हें हटाने का निर्देश देने की शक्ति भी होगी। मीडिया संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी छह अप्रैल 2023 को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023 (आईटी संशोधन नियमें,2023) से बहुत परेशान है।’’
मीडिया संगठन ने कहा कि आईएनएस यह कहने को मजबूर हुआ है कि सरकार या इसकी एजेंसी यह निर्धारित करने के लिए असीम शक्ति का इस्तेमाल करेगी कि उसके कामकाज के बारे में क्या फर्जी है, तथा उसे हटाने का आदेश देगी। आईएनएस ने कहा, ‘‘इस तरह की शक्ति को मनमाना माना जाता है। क्योंकि इसका इस्तेमाल पक्षों को सुने बगैर किया जाता है तथा नैसर्गिक न्याय के सभी सिद्धांतों का हनन होता है। इसके तहत, शिकायतकर्ता निर्णय लेने वाले के तौर पर कार्य करता है।’’ मीडिया संगठन ने कहा कि यह भी उल्लेख करने की जरूरत है कि तथाकथित तथ्यान्वेषी इकाई का मंत्रालय द्वारा गठन आधिकारिक गजट में प्रकाशित एक सामान्य अधिसूचना के जरिये किया जा सकता है।
आईएनएस ने कहा, ‘‘अधिसूचित नियम यह नहीं बताते हैं कि इस तरह की तथ्यान्वेषी इकाई के लिए क्या संचालन तंत्र होगा, इसकी शक्तियों के इस्तेमाल के आलोक में क्या न्यायिक अवलोकन उपलब्ध होगा, अपील करने का अधिकार होगा या नहीं, आदि।’’ आईएनएस ने कहा कि मंत्रालय जनवरी 2023 में लाये गये मसौदा संशोधनों को मीडिया संगठनों द्वारा व्यापक विरोध किये जाने के बाद वापस लेने के लिए मजबूर हो गया था और उसने (मंत्रालय ने) मीडिया संगठनों के साथ परामर्श करने का वादा किया था।
मीडिया संगठन ने कहा, ‘‘यह खेद का विषय है कि मंत्रालय ने इस संशोधन को अधिसूचित करने से पहले मीडिया संगठनों जैसे हितधारकों के साथ कोई सार्थक परामर्श नहीं किया।’’ आईएनएस ने कहा, ‘‘नतीजा यह है कि छह अप्रैल को अधिसूचित किये गये नये नियमों में जनवरी 2023 में लाये गये मसौदा संशोधन से शायद ही कोई बेहतर प्रावधान नजर आता हो।’’
मीडिया संगठन ने कहा, ‘‘इन तथ्यों के आलोक में, और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों तथा हमारे संविधान में प्रदत्त वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी सरकार से इस अधिसूचना को वापस लेने का अनुरोध करती है।’’ आईएनएस ने कहा कि सरकार को मीडिया के पेशे और इसकी विश्वसनीयता को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाली कोई भी अधिसूचना जारी करने से पहले मीडिया संगठनों और प्रेस संस्थानों जैसे हितधारकों के साथ व्यापक व सार्थक परामर्श करना चाहिए।
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