बच्चों के लिए ‘विवाह में समानता’ का अधिकार मांगा
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। करीब 400 अभिभावकों के समूह ने देश के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर अपने एलजीबीटीक्यूआईए++ बच्चों के लिए ‘विवाह में समानता’ का अधिकार मांगा है। उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। ‘स्वीकार- द रेनबो पैरेंट्स’ की ओर से लिखा गया पत्र इस मायने में अहम है कि प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिनमें समलैंगिक विवाह को मान्यता दिलाने का अनुरोध किया गया है। समूह ने पत्र में लिखा, ‘‘हमारी इच्छा है कि हमारे बच्चों और उनके जीवनसाथी के संबंधों को हमारे देश के विशेष विवाह अधिनियम के तहत मान्यता मिले।
हमें उम्मीद है कि जिस तरह से यह विशाल देश है वह उतनी ही विशालता से अपनी विविधता के स्वीकार करेगा और समावेशी मूल्यों के साथ खड़ा होगा एवं हमारे बच्चों के लिए भी वैवाहिक समानता के कानूनी द्वार को खोलेगा।’’ पत्र में कहा, ‘‘हमारी उम्र बढ़ रही है। हम में से कुछ की उम्र 80 साल के करीब पहुंच रही है, हमें उम्मीद है कि हम अपने जीवनकाल में अपने बच्चों के सतरंगी विवाह को कानूनी मान्यता मिलते देख सकेंगे।’’
गौरतलब है कि ‘स्वीकार-द रेनबो पैरेंट्स’ समूह की स्थापना भारतीय एलजीबीटीक्यूआईए++(लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, पैनसेक्सुअल, टू स्प्रीट, एसेक्सुअल और अन्य) बच्चों के माता-पिता ने की है और इसका उद्देश्य अपने बच्चों का पूरी तरह से समर्थन करना और एक परिवार की तरह खुश रहना है। पत्र में कहा गया,‘‘ हम आपसे विवाह समानता पर विचार करने की अपील करते हैं।’’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.