बसपा बनी 'टिकट' बेचने की राजनीतिक मंडी
क्या बसपा बन रही है टिकट बेचने की राजनीतिक मंडी, जहां कार्यकर्ता और सामाजिक मिशन को समर्पित लोगों की कोई जगह नहीं ?
संदीप मिश्र/सत्येंद्र पंवार
लखनऊ/मेरठ। बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा बहुत अच्छी है और सच्ची है। परंतु, बहुजन समाज पार्टी में चमचा युग चल रहा है ? चमचों के सरदारों ने दीमक की तरह से पार्टी के टिकट बेच बेचकर पार्टी को खोखला कर दिया है ? आज पार्टी में टिकट और पद योग्यता के आधार पर नही, चापलूसी की योग्यता और पैसों के दम पर खरीदे जाते हैं, जिनमें अधिकांश चमचे और चमचों के सरदारों के रिश्तेदार हैं ?
ऐसे चमचे चमचों के मुखिया पार्टी को दीमक की तरह से चाट रहे हैं ? जिनमें समाज के सम्मानित लोगों कार्यकर्ताओं के प्रति कोई सद्भाव आदर सम्मान की भावना नहीं है, जिन्हे सामाजिक आर्थिक राजनीतिक शैक्षणिक और संविधानिक योग्यता के साथ बोलचाल का ज्ञान नहीं है। ऐसे लोग पदाधिकारी अर्थात पद के अधिकारी की तरह व्यवहार नहीं करते, बल्कि तानाशाह अधिकारियों की तरह से व्यवहार करते हैं, जो सामाजिक समस्याएं महापुरुषों के जीवन दर्शन पर आधारित कार्यक्रमों आदि सामाजिक जनजागृति सम्मान के कार्यक्रमों से दूर रहते हैं।
इसलिए ऐसे लोगों का समाज में सम्मान न होने के कारण पार्टी धीरे-धीरे समाज के सम्मानित वर्गों से अपना आधार खो रही है। चुनाव के समय पर यह चमचे-चमचों के रिश्तेदार मजदूरों की मंडी से अनुभव हीन पेड़वर्कर लेकर आते हैं और पार्टी के सम्मानित लोगों और ज़िम्मेदार कार्यकर्ताओं का उपहास उड़ाते हैं ? पार्टी में एक पूर्व एमएलसी पार्टी को दीमक की तरह से लगातार चाट रहे है। पार्टी के जिम्मेदार कार्यकर्ताओं का और भाईचारे कमेटी के सम्मानित सदस्यों का उपहास उड़ाकर अपमानित करना, इनकी एक आदत है। लगता है, यह पूर्व एमएलसी पार्टी को बर्बाद कर बीजेपी में भागने के लिए अपना आधार तलाश रहे हैं ?
इनकी केवल एक खासियत है, चुनाव को भुनाना ? चुनाव के समय पर अपनी तिजोरी टिकट बेचकर भरना ? अपना रोब झाड़ने के लिए कार्यकर्ताओं को डराने के लिए अपने साथ बॉक्सर रखते हैं ? ताकि कोई डर कर इनके खिलाफ कोई आवाज़ न उठा सके ? इस पूर्व एमएलसी और इसके चमचे रिश्तेदारों के प्रती आक्रोश पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रति आक्रोश बनता जा रहा है।
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