'लोकतंत्र की माता’ का प्रचार, सरकार पर कटाक्ष
अकांशु उपाध्याय/मनोज सिंह ठाकुर
नई दिल्ली/इंदौर। लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने भारत की जी-20 अध्यक्षता से जुड़े नारे ‘‘लोकतंत्र की माता’’ के प्रचार को लेकर केंद्र सरकार पर मंगलवार को कटाक्ष किया और कहा कि सरकार संसद को "रबर की मोहर या नोटिस बोर्ड" की तरह इस्तेमाल कर रही है। थरूर, ‘‘संविधान का संरक्षण और संविधान का उत्थान’’ विषय पर अखिल भारतीय पेशेवर कांग्रेस (एआईपीसी) की मध्यप्रदेश इकाई की ओर से यहां आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
एआईपीसी के अध्यक्ष थरूर ने कहा, ‘‘अगर आप दिल्ली जाएं, तो आपको सारे शहर में जी20 के बिलबोर्ड दिखेंगे जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुस्कुराते चेहरे की तस्वीर के साथ छपा है कि हम लोकतंत्र की माता हैं। उनके मुस्कुराने के पीछे शायद कारण है…क्योंकि यह माता जिस तरह से काम कर रही है, वह लोकतंत्र के खिलाफ है।’’ उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,‘‘मैं सोचता हूं कि दुनिया में ऐसी कोई माता नहीं मिलेगी जो अपने बच्चों के साथ इतनी बुरी तरह से व्यवहार करने के बाद भी श्रेय मांगना चाहेगी।’’ कांग्रेस सांसद ने कहा कि सरकार संसद को ‘‘रबर की मोहर या नोटिस बोर्ड’’ की तरह इस्तेमाल कर रही है और विपक्ष से राय-मशविरे के बिना सारे विधेयक पारित करा रही है।
थरूर ने पिछले महीने के संसदीय गतिरोध का हवाला देते हुए कहा कि यह देश के इतिहास में पहली बार था, जब सत्तारूढ़ भाजपा ने विपक्षी दल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के किसी बयान पर उनकी माफी की मांग को लेकर संसद नहीं चलने दी। उन्होंने कहा,‘‘भाजपा उथल-पुथल से संसद चलाना चाहती है।’’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि आजादी के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदू महासभा के नेताओं ने कहा था कि भारत का संविधान ‘‘अंग्रेजी सोच’’ पर आधारित है और देश को एक हिंदू राष्ट्र होना चाहिए।
कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद सरकार कोशिश कर रही है कि देश को धर्म की बुनियाद पर चलाया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘हर रोज लोग भाषणों में कह रहे हैं कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए और अगर आप हिंदू नहीं हैं, तो आपके (नागरिक) अधिकार कम होने चाहिए। लेकिन कांग्रेस चाहती है कि देश में संविधान के सभी बुनियादी सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए।’’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.