103 घंटे और 30 मिनट का समय हंगामे की भेंट चढ़ा
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध के चलते राज्यसभा में बजट सत्र के दौरान कुल 103 घंटे और 30 मिनट का समय हंगामे की भेंट चढ गया तथा दूसरे चरण में सदन की उत्पादकता केवल 6.4 प्रतिशत रही। बजट सत्र के पहले चरण में राज्यसभा की उत्पादकता 56.3 प्रतिशत रही थी और इस तरह दोनों सत्रों की उत्पादकता मात्र 24.4 प्रतिशत रही। सभापति जगदीप धनखड़ ने बजट सत्र के दूसरे चरण के अंतिम दिन गुरूवार को हंगामे के बीच ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जिसके साथ ही राज्यसभा का 259 वां सत्र संपन्न हो गया। श्री धनखड़ ने कार्यवाही स्थगित करने से पहले अपनी टिप्पणी की शुरूआत में ही सदन में हंगामे तथा शोर शराबे के कारण व्यवधान की प्रवृति पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र की प्रहरी है और लोग हमारे प्रहरी तथा ‘सुप्रीम मास्टर’ हैं। उन्होंने कहा कि संसद का पहला दायित्व लोगों की सेवा करना है। संसद लोगों की भलाई के लिए चर्चा , विचार विमर्श और निर्णय लेने का मंच है। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि संसद में बहस, संवाद , विचार विमर्श और चर्चा की जगह अव्यवस्था और व्यवधान ने ले ली है। सभापति ने कहा कि बजट सत्र के पहले चरण में उत्पादकता 56.3 प्रतिशत रही, जबकि दूसरे सत्र में यह केवल 6.4 प्रतिशत तक पहुंच गई। दोनों सत्रों की कुल उत्पादकता 24.4 प्रतिशत रही। बजट सत्र में राज्यसभा में 103 घंटे 30 मिनट का समय बर्बाद हुआ। अपने वक्तव्य के बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।
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