‘लोकतंत्र के मंदिर’ में जनांदोलन चलाने का आह्वान
इकबाल अंसारी
बेंगलुरू। संसदीय व्यवधान पर ‘पीड़ा’ व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को लोगों खासकर युवाओं से ‘लोकतंत्र के मंदिर’ में ऐसे आचरण के विरूद्ध माहौल एवं जनमत तैयार करने के लिए जनांदोलन चलाने का आह्वान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी अपील गैर दलीय है तथा उसका राजनीति में संबंधित पक्षों से नहीं, बल्कि राष्ट्र के कल्याण से संबंध है। धनखड़ ने कहा, ‘‘ मैं अपनी पीड़ा भी आपके सामने रखना चाहता हूं। डॉ. आंबेडकर की हमारे संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका थी , संविधान सभा में तीन सालों तक उस पर बहस हुई, चर्चा-परिचर्चा एवं संवाद हुआ। उनके सामने एक मुश्किल भरा काम था , कई विवादास्पद मुद्दे थे, भिन्न-भिन्न राय थी, साझी राय पर पहुंचा मुश्किल था।’’
उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इन सब बातों के बावजूद संविधान सभा में एक भी व्यवधान नहीं हुआ, कोई आसन के सामने नहीं आया, किसी ने नारेबाजी नहीं की, किसी ने तख्तियां नहीं दिखायीं। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जिन्होंने हमें संविधान दिया, उनके द्वारा देशहित में जब इतना बड़ा काम किया जा सकता तो फिर, इस बात में क्या कठिनाई है कि हम उन जैसा आचरण नहीं कर पाते हैं। हमें ऐसा करना चाहिए।’’ वह मशहूर शिक्षाविद, परोपकारी, अवसंरचना के दूरदृष्टा, उद्योगपति डॉ. एम एस रमैया के जन्मशती समारोह को संबोधित कर रहे थे। रमैया का देश खासकर कर्नाटक में कई ऐतिहासिक अवसरंचना परियोजनाओं में उल्लेखनीय योगदान रहा है। धनखड़ ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के तौर पर वह जो कुछ देखते हैं, वह सभी के लिए चिंता का विषय है क्योंकि राज्य सभा के सत्र के हर मिनट पर करोड़ों रुपये का सरकारी धन व्यय होता है।
उन्होंने कहा , ‘‘ राज्यसभा सरकार, कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने का मंच है लेकिन वहां व्यवधान होता है, सबसे अधिक चिंता की जो बात है, वह यह है कि आपको उसकी कोई परवाह नहीं है।’’ जनांदोलन को जरूरी बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ राज्यसभा और संसद में हम यह सुनिश्चित करते हैं कि देश का भविष्य सही मार्ग पर हो, इसके लिए हमें अपने आचरण से ऐसी मिसाल कायम करनी होगी जिसे सभी अपने व्यवहार में उतार सके। हम नहीं चाहते हैं, हमारे लड़के-लड़कियां व्यवधान का नकल करें, शोर-शराबे को एवं तख्तियां दिखाने को सही ठहरायें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए, आपसे मेरी अपील है कि माहौल एवं जनमत तैयार कीजिए, उपलब्ध हर साधन का इस्तेमाल कीजिए, ताकि हम अपने सांसदों से मनुहार कर सकें कि लोकतंत्र के मंदिर में हमारा आचरण हमें गौरवान्वित करे, जो देश के विकास के लिए जरूरी है।’’
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