'ईआरसीपी' के काम पर रोक लगाने का अनुरोध
नरेश राघानी
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका राजस्थान को अपने हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का काम रुकवाकर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर और अजमेर के हक का पानी रुकवाने की कोशिश की जा रही है। गहलोत ने यहां एक बयान में कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केन्द्रीय जल आयोग के दिशानिर्देश-2010 के अनुरूप है।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतरराज्यीय स्टेट कंट्रोल बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार बनाई गई है। इसी निर्णय को आधार बनाकर मध्य प्रदेश ने अपने यहां कुण्डलिया और मोहनपुरा बांध बनाए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि धौलपुर में केन्द्रीय जल आयोग के रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के अनुसार हर साल चंबल में औसतन 19,000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी व्यर्थ बहकर समुद्र में जाता है।
उन्होंने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के लिए केवल 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता है। राजस्थान सरकार ईआरसीपी के माध्यम से इस व्यर्थ बहकर जा रहे पानी से राज्य में पेयजल और सिंचाई जल की आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास कर रही है। गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार पूर्वी राजस्थान के हक का पानी रोकने का अनुचित प्रयास कर रही हैं।
पानी राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी को लागू करने में कानूनी बाधाएं उत्पन्न करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य हेतु पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में अपनी बात दृढ़ता से रखेगी और अपने हक की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करने का काम करेगी।
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