'राष्ट्रीय कृमि मुक्ति' दिवस मनाया, दवा खिलाई
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम शुरू
छूटे हुए बच्चो को मापअप राउंड में खिलाएं दवा
कौशाम्बी। जनपद में शुक्रवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया गया। इस अवसर पर एक वर्ष से 19 वर्ष बच्चों व किशोर-किशोरियों को पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाई गई। इस दिवस पर छूटे बच्चों को अब मापअप राउंड में खिलाई जाएगी। यह जानकारी मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ सुष्पेंद्र कुमार ने दी। कार्यक्रम की शुरुआत अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने ब्लाक मंझनपुर के प्राथमिक विद्यालय बबुरा में फीता काटकर व बच्चों को एल्बेन्डाजोल खिलाकर औपचारिक उद्घाटन किया। यह दवा 1 वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी बच्चे एवं किशोर जेड- किशोरियों को खानी है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामानुज ने बताया कि जिले में आठ लाख बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, प्राइवेट सरकारी स्कूलों, मदरसों पर दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको मॉपअप राउंड में खिलाई जाएगी। इस दिवस पर दवा सेवन से छूटे बच्चों एवं किशोर - किशोरियों के लिए 13-15 फरवरी को मापअप राउन्ड आयोजित होगा। अभियान के दौरान कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करना आवश्यक है।
नोडल अधिकारी डॉ हिमांशु भूषण ने बताया कि कुछ खाकर ही यह दवा खानी है। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर खिलानी है तथा 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने प्रधानाध्यापक शिक्षक, आशा कार्यकर्ता तथा समस्त बच्चों से कहा कि सभी बच्चों को एल्बेन्डाजॉल की गोली खिलाई जाएगी। इसके खाने से पेट के कीड़े से मुक्ति मिल जाती है। जिससे बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार होता है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इससे एनीमिया में नियंत्रण तथा बच्चो के स्वास्थ्य में ठीक रहता है।
डी.सी.पी.एम संजय कुमार ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े बाहर निकल जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के भोजन का पूरा पोषण कृमि ख़त्म कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा एनीमिया समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है।
उन्होंने कहा कि जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।
इस दौरान प्रभारी चिकित्सा अधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य मंझनपुर कौशांबी डॉ नीरज कुमार सर, डीसी अवधेश मौर्या अर्बन हेल्थ कोऑर्डिनेटर शिबली रजा अंसारी, ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक अवनीश मिश्रा एवं बीसीपीएम घनश्याम पाल, आशा, आशा संगिनी और विद्यालय के अध्यापक बंधु उपस्थित रहे।
राजकुमार
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