टिप्पणी से जुड़े मामलें में मुकदमा चलाने की अनुमति
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली के उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना ने जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शहला रशीद के खिलाफ सुरक्षाबलों पर टिप्पणी से जुड़े मामलें में मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। उप-राज्यपाल के कार्यालय ने कहा, भारतीय सेना के बारे में शहला के दोनों ट्वीट विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने के उद्देश्य से पोस्ट किए गए।
JNU की पूर्व छात्र नेता शहला रशीद की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने शहला के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। AISA की सदस्य और जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला ने भारतीय सेना को लेकर दो आपत्तिजनक ट्वीट किए थे। इसी मामले में उन पर शिकंजा कसा है। आरोप है कि उन्होंने अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाने के लिए ये ट्वीट किए। सुप्रीम कोर्ट के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की शिकायत के आधार पर 03.09.2019 को एफआईआर दर्ज की गई थी।
18 अगस्त 2019 को कश्मीर की रहने वाली शहला रशीद ने भारतीय सेना को लेकर दो विवादित ट्वीट किए थे। पहला ट्वीट उन्होंने 18 अगस्त को 12 PM पर किया था। इसमें उन्होंने लिखा, आर्म्ड फोर्सेज रात के समय घरों में घुसती है, लड़कों को उठा लेती है, जानबूझकर राशन जमीन पर फेंक दिया जाता है, तेल को चावल में मिला दिया जाता है। दूसरे ट्वीट में लिखा था, शोपियां में 4 लोगों को सेना के कैंप में बुलाया गया, पूछताछ (प्रताड़ित) की गई। एक माइक को उनके करीब रखा गया जिससे पूरे इलाके के लोगों को उनकी चीखें सुनाई दें और वे दहशत में रहें। ऐसा कर पूरे इलाके में खौफ का माहौल बनाया गया।
उसी दिन भारतीय सेना ने शहला रशीद के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि ये आरोप आधारहीन हैं। सेना ने कहा था कि ऐसी फेक न्यूज और अपुष्ट जानकारियां शत्रुता की भावना से फैलाई जाती हैं। इसके बाद एक वकील ने शिकायत की। दिल्ली के गृह विभाग ने पाया कि मामले की प्रकृति और ट्वीट की लोकेशन के चलते सेना के खिलाफ झूठे आरोप लगाया जाना एक गंभीर मामला है। हर ट्वीट को क्रिमिनल लॉ के तहत लाने की जरूरत नहीं है, लेकिन यह मामला अलग है।
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