राज्यसभा: विपक्षी दलों ने विधेयक का समर्थन किया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक 2022 को स्थायी समिति में चर्चा के बाद सदन में लाने जाने की अपील करते हुए राज्यसभा में सोमवार को अधिकांश विपक्षी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया। भोजनावकाश के बाद आज कार्यवाही शुरू होने पर द्रविड मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के वी विल्सन ने कहा कि यह संशोधन वर्ष 2001 कानून में संशोधन के लिए लाया गया है, जो वर्तमान और भविष्य की जरूरतों के साथ ही पेरिस समझौते के अनुरूप है।
हालांकि उन्होंने कहा कि यह संशोधन ऊर्जा मंत्रालय के माध्यम से लाया गया है। जबकि इसमें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण की बात है। इसके लिए कार्बन ट्रेडिंग की बात की गयी है। आम आदमी पार्टी के संदीप पाठक ने कहा कि यह संशोधन ऊर्जा मंत्रालय द्वारा पेश किया गया है। जबकि यह मामला पर्यावरण मंत्रालय या नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय का है। यह विकासोन्मुख विधेयक है। लेकिन इसके क्रियान्वयन को लेकर विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि हरित भवन की इसमें बात की गई है। जो अभी वैश्विक स्तर पर नयी बात है।
यह बहुत बेहतर पहल है कि भारत हरित भवन की दिशा में बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें सौर ऊर्जा की बात की गयी है लेकिन देश में अभी सोलर पैनल बनाने के लिए एक दो ही कंपनियां है।इसमें छोटी छोटी कंपनियों को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है। बीजू जनता दल के मुजीबुल्ला खान ने कहा कि यह संशोधन पेरिस संधि के अनुरूप किया जा रहा है जिसके माध्यम से भारत सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करना चाहता है।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने इस विधेयक को अच्छा बताते हुये कहा कि यह बहुत ही अच्छा विधेयक होता यदि यह स्थायी समिति के माध्यम से आता। उन्होंने कहा कि हालांकि अब तो लगता है कि विधेयकों को स्थायी समिति या इस तरह की व्यवस्था में चर्चा करा कर सदन में लाने की परंपरा ही समाप्त हो गयी है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक अच्छा है। क्योंकि इसमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जोर दिया गया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फौजिया खान ने कहा कि ऊर्जा मंत्रालय के लिए शोध एवं विकास के लिए बजट बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण पर बहुत बात होती है। लेेकिन अब तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। जब हम कार्बन ट्रेडिंग की दिशा में बढ़ रहे हैं, जो इसमें पराली और कचड़े को भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि पराली जलाये जाने से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता है। कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि इस विधेयक में काफी कुछ किया जा सकता था। लेकिन इसको बेहतर बनाने की दिशा में काम नहीं किया गया।
पर्यावरण संरक्षण बहुत अच्छा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि यदि यह स्थायी समिति से होकर आता तो बहुत अच्छा होता क्योंकि इसमें भविष्य की जरूरतों के अनुरूप संशोधन नहीं किया गया है। स्वच्छ ऊर्जा को सरकार बढ़ावा देना चाहती है। लेकिन नवीनीकरण ऊर्जा के लिए उपयोगी उपकरणों पर जीएसटी को पांच प्रतिशत से बढ़ा कर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।
बिजली केन्द्र और राज्य दोनों के दायरे में आता है इसलिए इसमें राज्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए था। जैव ईंधन की खपत को 40 प्रतिशत तक कम करने के लिए राज्यों को भी कानून बनाने के लिए कहना चाहिए था। कार्बन टेड्रिंग का नियमन कौन करेगा। इस पर चर्चा में वाईएसआरसीपी के एस निरंजन रेड्डी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वी शिवदासन, एमडीएमके के वाइको ने भी अपने विचार रखे।
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