आर्थिक विकास अनुमान को 6.8 प्रतिशत किया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने घरेलू और वैश्विक चुनौतियों का हवाला देते हुये चालू वित्त वर्ष के आर्थिक विकास अनुमान को अपने पहले के सात प्रतिशत से कम कर 6.8 प्रतिशत करते हुए बुधवार को कहा कि इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ेगी क्योंकि इसकी नींव मजबूत है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की द्विमासिक समीक्षा बैठक में लिये गये निर्णय की जानकारी देते हुये यह अनुमान जताया। उन्होंने कहा कि रबी की बेहतर बुवाई हुयी है। शहरी क्षेत्रों में मांग बढ़ रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी सुस्ती बनी हुयी है।
ऋण उठाव में तेजी आ रही है और सरकारी पूंजी व्यय में बढोतरी से निवेश में सुधार हो रहा है। रिजर्व बैंक के सर्वक्षण में उपभोक्ता धारणा में सुधार हुआ है। हालांकि भूराजनैतिक तनाव, वैश्विक वित्तीय स्थिति में आ रही संकुचन और बाहरी मांग में नरमी जैसी चुनौतियां आ रही है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान को पहले के साथ 7.0 प्रतिशत से कम कर 6.8 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी आधार पर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विकास दर 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 7.1 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 5.9 प्रतिशत पर रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 6.3 प्रतिशत रही है जबकि पहली तिमाही में यह 13.5 प्रतिशत रही थी। हालांकि तीसरी तिमाही से इसमें तेजी आने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक परिदृष्य नरम दिख रहा है। वैश्विक विकास में सुस्ती आ रही है क्योंकि मौद्रिक नीति के कारण वित्तीय संकुचन की स्थिति बन गयी और जीवनयापन की लागत बढ़ने से उपभोक्ता धारणा भी कमजोर हो रही है। प्रमुख देशों में महंगाई उच्चतम स्तर पर है। हालांकि हाल के दिनों में कीमतों में कुछ नरमी आयी है।
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