सातवें ‘ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट’ को संबोधित किया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक एवं चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने मंगलवार को कहा कि अगले दशक में डिजिटल कॉमर्स के लिए मुक्त नेटवर्क (ओएनडीसी) जैसे कदमों की वजह से भारत में ‘महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियां’ देखने को मिलेगी।नीलेकणि ने कार्नेगी इंडिया की तरफ से यहां आयोजित सातवें ‘ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट’ को संबोधित करते हुए कहा कि अगले एक दशक में भारत में व्यापक आधार वाली, समावेशी एवं लोकतांत्रिक आर्थिक गतिविधियां देखने को मिलेंगी। उन्होंने कहा कि ऐसा मौजूदा समय में घटित हो रहे तीन बदलावों के कारण होगा।
नीलेकणि ने इसका ब्योरा देते हुए कहा, ‘‘इस समय तीन बड़ी चीजें घटित हो रही हैं। जिनका अगले दशक में भारत पर प्रभाव पड़ेगा। पहला ओएनडीसी, दूसरा खाता एग्रीगेटर नेटवर्क और तीसरा लॉजिस्टिक क्षेत्र में जीएसटी, फास्टैग एवं ई-वे बिल के कारण आ रहे बदलाव हैं।’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि वस्तुओं एवं सेवाओं के आदान-प्रदान से जुड़े सभी पहलुओं के लिए एक मुक्त मंच के तौर पर गठित किया जा रहा ओएनडीसी जल्द शुरू होगा।
ओएनडीसी के माध्यम से लाखों छोटे आपूर्तिकर्ता अपने उत्पादों की बिक्री इस इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर कर पाएंगे। इसके अलावा छोटे विक्रेताओं को अपना कारोबार समावेशी बनाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही इन्फोसिस के चेयरमैन ने कहा कि खाता एग्रीगेटर नेटवर्क की संकल्पना भी बुनियादी बदलाव लाने वाली है। इसके पीछे डेटा का सृजन करने वाले लोगों को ही इसका इस्तेमाल करने की छूट देने का विचार है।
इस तरह व्यक्ति एवं छोटे कारोबार तमाम सेवाओं तक पहुंच हासिल करने के लिए डेटा का इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘खाता एग्रीगेटर नेटवर्क में एक सहमति प्रबंधक आपकी तरफ से आपसे संबंधित आंकड़े विभिन्न सेवा प्रदाताओं से हासिल करता है और फिर उसे अलग-अलग लाभ के लिए दूसरों को बढ़ा देता है। इससे कर्ज बांटने एवं अन्य वित्तीय सेवाओं की प्रक्रिया बुनियादी तौर पर अधिक लोकतांत्रिक होने जा रही है।’’
नीलेकणि ने कहा कि लॉजिस्टिक क्षेत्र में हो रहे बदलावों का भी आने वाले दशक में व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी, फास्टैग एवं ई-वे बिल जैसे कदमों से लॉजिस्टिक क्षेत्र में बदलाव हो रहा है और अब राजमार्गों पर गाड़ियों एवं सामान का आवागमन अधिक सरल हो गया है। इसके साथ ही उन्होंने आधार कार्ड रखने वाले नागरिकों की संख्या बढ़कर 130 करोड़ हो जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इस ऑनलाइन पहचान व्यवस्था का इस्तेमाल देशभर में कहीं भी किया जा सकता है। आधार पहचान संख्या जारी करने की शुरुआत नीलेकणि के इस परियोजना का प्रमुख रहते समय ही हुई थी।
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