कृष्ण-पक्ष की अष्टमी को मनाई जाएगी 'कालाष्टमी'
सरस्वती उपाध्याय
कालाष्टमी या काल भैरव जयंती का दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए खास माना गया है। कालभैरव भगवान शिव के रुद्र अवतार से प्रकट हुए थे। हर महीने कृष्ण-पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी या काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है। इस बार काल भैरव अष्टमी 16 नवंबर, बुधवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से भय से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भैरव बाबा की पूजा-अर्चना करने से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।
काल भैरव अष्टमी के दिन बन रहे ये चौघड़िया मुहूर्त
लाभ-उन्नति- 06:44 एएम से 08:05 एएम
अमृत-सर्वोत्तम- 08:05 एएम से 09:25 एएम
शुभ-उत्तम- 10:45 एएम से 12:06 पीएम
लाभ-उन्नति- 04:07 पीएम से 05:27 पीएम
शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि 16 नवंबर 2022 को सुबह 05 बजकर 49 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 17 नवंबर को शाम 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगी।
काल भैरव अष्टमी पूजा-विधि
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत रखें। घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। इस दिन भगवान शंकर की भी विधि- विधान से पूजा- अर्चना करें। भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और गणेश भगवान की पूजा-अर्चना भी करें। आरती करें और भगवान को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
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