भड़काऊ भाषण को लेकर 'एससी' का सख्त फैसला
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भड़काऊ भाषण को लेकर शुक्रवार को सख्त फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि 21वीं सदी में एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए इस तरह के भड़काऊ भाषण चौंकाने वाले हैं। अदालत ने कहा कि पुलिस अब हेट स्पीच मामले में एफआईआर दर्ज होने का इतंजार किए बिना कार्रवाई करे। इस मामले में किसी भी तरह की निष्क्रियता अदालत की अवमानना मानी जाएगी।
संयुक्त राष्ट के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस हाल ही में तीन दिनों की यात्रा पर भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड और बढ़ रहे हेट स्पीच के मामलों पर आलोचना की थी। इसके दो दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश में नफरत भरे भाषणों की घटनाओं पर चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने नफरत भरे भाषणों को ‘बहुत ही गंभीर मुद्दा’ करार देते हुए शुक्रवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को सरकारों को निर्देश दिया कि वे ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज होने का इंतजार किए बिना दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले तुरंत दर्ज करें।
शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की देरी अदालत की अवमानना के दायरे में आएगी। न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने शाहीन अब्दुल्ला नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर दोनों राज्य सरकारों को नोटिस भी जारी किये। पीठ ने कहा कि राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बनाए रखने के लिए नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, भले ही वे किसी भी धर्म के हों।
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