सूर्य उपासना, निर्जला व्रत रखकर 'छठ' पर्व मनाया
हरिशंकर त्रिपाठी
देवरिया। रविवार को रूद्रपुर के एकौना समेत ग्रामीण अंचलों में भी छठ पर्व धूमधाम से मनाया गया। निर्जला व्रत रखकर माताओं ने अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना कर पुत्रों के दीर्घायु की कामना की। घाटों पर मेले जैसा माहौल रहा। छठ पर्व की तैयारी कई दिनों से चल रही थी। रविवार को दिन भर महिलाएं व्रत रही और शाम को दउरा में नारियल, चावल, अनार, नाशपाती, संतरा, केला, ठेकुआ, पूड़ी रख कर सज-धजकर नजदीक के पोखरे व नदी घाटों पर पहुंचने लगी। महिलाएं छठ घाट पर पहुंची और छठ वेदी पर दीप जलाकर पूजा किया। अंत में अस्त होते भगवान भाष्कर को अर्घ्य देकर पुत्र के दीर्घायु की कामना की। जिन महिलाओं को संतान नहीं है, वह महिलाएं घंटों पानी में खड़ा रह भगवान भाष्कर से पुत्र की कामना करतीं रहीं।
एकौना घाट पर हजारों की भीड़ रही और मेले जैसा माहौल रहा। यहां ग्रामीणों द्वारा पथ-प्रकाश की भी व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा क्षेत्र के एकौना बकरूआ भेड़ी सराव खूर्द व बूजूर्ग बसडिला धर्मपुर बैदा नगवां नरायनपुर भेलउर बहोरा पाण्डेय माझा सहित विभिन्न गांवों के तालाबों और नदियों पर भी महिलाओं ने छठ पूजा की और यहां भी मेले जैसा माहौल रहा। इस बार छठ पूजा में भी लोग देश भक्ति के रंग में रंगे दिखे। छठ वेदी को भी तिरंगे के रंग में रंगा गया था।
सुरक्षा के लिये घाटो पर एकौना पुलिस द्वारा रखी जा रहा थी नजर
रूद्रपुर क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर छठ पूजा के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसलिए यहां भारी संख्या में पुलिस तैनात थे।पुलिसकर्मी असलहा लिए घाटों पर नजर जमाये चौकन्ने थे और वहीं से लोगों पर अपनी नजर रख रहे थे।
लोनी: छठ पूजा पर घाट सजा, श्रद्धालुओं की भीड
अविनाश श्रीवास्तव
लोनी/गाजियाबाद। छठ पूजा श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। जिसमें भगवान सूर्य देव को उदय होते हुए तथा डूबते हुए सूर्य देव को जल दिया जाता है। छठ पूजा का त्यौहार बिहार का गौरवशाली त्यौहार है, जिसे स्त्रियां अपने संतान की लंबी उम्र के लिए भगवान सूर्य देव की पूजा करती हैं। छठ पूजा आस्था का सबसे बड़ा त्यौहार है।
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