मुलायम के पार्थिव शरीर की तस्वीर ट्विटर पर शेयर
संदीप मिश्र/राणा ओबरॉय
लखनऊ/गुरुग्राम। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के संस्थापक व अपने पिता मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल से उनके पार्थिव शरीर की तस्वीर ट्विटर पर शेयर की है। उन्होंने लिखा, मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे। गृह मंत्री अमित शाह ने भी अस्पताल पहुंचकर मुलायम सिंह को श्रद्धांजलि दी। वहीं, अखिलेश यादव की बेटी ने लिखा कि नही रहे दादा जी अब इस दुनियां में।
समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से पार्टी पर कोई प्रत्यक्ष राजनीतिक प्रभाव भले ना पड़े लेकिन अब उनके पुत्र पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को उनकी ‘छाया और कवच’ के बगैर काम करना होगा। अपने बेटे अखिलेश और सगे भाई शिवपाल सिंह यादव के बीच वर्चस्व की जंग के चलते कुनबे में हुए बिखराव के बावजूद मुलायम ही एकमात्र ऐसे शख्स थे जो हर मंच और मौके पर कुनबे को जोड़ने की आखिरी उम्मीद थे। उनके जाने के बाद अब हालात शायद पहले जैसे नहीं रह जाएंगे और परिवार की एकजुटता चाहने वाले लोगों को उनकी कमी जरूर खिलेगी।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी बहू व बीजेपी नेता अपर्णा यादव ने ट्वीट किया है, मेरे गुरु व धरती पुत्र नेताजी और मेरे लिए ‘पिताजी’ आज गोलोक वासी हो गए। उन्होंने लिखा, ईश्वर इस सत्य की वेदना सहन करने के लिए मुझे और नेताजी से प्रेम करने वाले सभी लोगों को शक्ति दें। उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि हम लोग मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर पाकर काफी दुखी हैं और समाजवादी पार्टी उनके निधन पर शोक व्यक्त करती है। समाजवादी पार्टी उनकी आत्मा की शांति की कामना करती है। यह देश के लिए अपूरणीय क्षति है।
मुलायम सिंह यादव पर सपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि नेता जी भले हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका संघर्ष, विचार हमेशा हमारे बीच रहेगा… समाजवादी पार्टी के लखनऊ के मुख्यालय में पार्टी के झंडे को झुकाया है और एक शोक सभा भी की है। हमने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
कैसा था सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का सियासी सफर ?
गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में सोमवार को अंतिम सांस लेने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे। 1996-98 के बीच देश के रक्षा मंत्री रह चुके मुलायम आठ-बार उत्तर प्रदेश में विधायक निर्वाचित हुए और सात-बार लोकसभा सांसद चुने गए। उन्होंने 1992 में सपा की स्थापना की थी।
1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996: सदस्य, उत्तर प्रदेश विधान सभा (आठ बार)
1974: सदस्य, प्रतिनिहित विधायन समिति
1977: सहकारी और पशुपालन मंत्री, उत्तर प्रदेश अध्यक्ष, लोक दल उत्तर प्रदेश अध्यक्ष लोक दल, उत्तर प्रदेश
1980: अध्यक्ष जनता दल, उत्तर प्रदेश
1982-85: उत्तर प्रदेश विधान परिषद विपक्ष नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद
1985-87: विपक्ष नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा
1989-91: मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश
1989: नेता, जनता दल, विधायी दल, उत्तरप्रदेश
1992: संस्थापक अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी
1993-95: मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
1996: ग्यारहवीं लोक सभा के लिए निर्वाचित
1996-98: केन्द्रीय केबिनेट रक्षा मंत्री
1998: बारहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दूसरी बार)
1998-99: सदस्य, सामान्य प्रयोजन समिति
1999: तेरहवीं लोक सभा के लिए पुन: निर्वाचित (तीसरी बार) नेता, समाजवादी संसदीय दल, लोक सभा
1999-2000: सभापति, पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस संबंधी स्थायी समिति सदस्य, सामान्य प्रयोजन समिति
अगस्त 2003-मई 2007: मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश
2004: चौदहवीं लोक सभा के लिए पुन: निर्वाचित ( चौथी बार)
14 मई 2007- 15 मई 2009: नेता, विपक्ष, उत्तरप्रदेश विधान सभा
मई 2009: पंद्रहवी लोकसभा के लिए पुन:-निर्वाचित (पांचवी बार)
31 अगस्त 2009: सभापति, ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति
मई 2014: सोलहवीं लोकसभा के लिए पुन:-निर्वाचित
1 सितम्बर 2014 से सदस्य श्रम संबंधी स्थायी समिति सदस्य, परामर्शदात्री समिति, गृह मंत्रालय
29 जनवरी 2015 से सदस्य, सामन्य प्रयोजन समिति
मई, 2019: सत्रहवीं लोक सभा के लिए पुन: निर्वाचित।
विदेश यात्रा...
फ्रांस, जर्मनी, नेपाल, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, रूस, सिंगापुर,यू.के, यू.एस.ए.।
अन्य जानकारी...
डा. राममनोहर लोहिया के विचारों और विचारधारा प्रेरित और प्रमाणित; सर्वश्री मधु लिमये, कर्पूरी ठाकुर, राम सेवक यादव, राज नारायण और जनेश्वर मिश्र के सम्पर्क में आने के पश्चात राजनीति में अाए। बाद में भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, श्री वी.पी. सिंह और चन्द्रशेखर से प्रभावित; किसानों,श्रमिकों, युवाओं, छात्रों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए नौ बार जेल गए; तथ्ाा प्रेजिडेन्ट,(i)इटावा डिग्री कॉलेज, 1962-63; (Ii) शिकोहाबाद ए.के कॉलेज, 1963-64 और (iii) छात्र संघ, के.के. कॉलेज, इटावा; करहैल (मैनपुरी), उत्तर प्रदेश के लेक्चरर के रूप में कार्य किया।
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