नवरात्रि का नौवां दिन मां 'सिद्धिदात्री' को समर्पित
सरस्वती उपाध्याय
सिद्धिदात्री शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, सिद्धि का अर्थ है ध्यान करने की क्षमता और धात्री का अर्थ है दाता। मां सिद्धिदात्री का स्वरूप इस प्रकार है– मां सिद्धिदात्री के चार हाथ हैं और इनके प्रत्येक हाथ में एक चक्र, शंख, गदा और कमल सुशाेभित है। उनकी आठ सिद्धियां हैं, जो अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकम्ब्य, इशित्वा और वशित्व हैं।
भगवान शिव को अर्धनारीश्वर के नाम से जाना जाता है। क्योंकि, भगवान शिव का एक पक्ष देवी सिद्धिदात्री का है। शास्त्रों के अनुसार शिव ने देवी सिद्धिदात्री की पूजा की और सभी सिद्धियों को प्राप्त किया। इस देवी की साधना करने से अलौकिक एवं पारलौकिक कामनाओं की पूर्ति होती है।
भोग– नवमी के दिन मां को तिल का भोग लगाया जाता है।
प्रिय फूल– देवी को चंपा, कमल या गुड़हल का फूल अर्पित करें, इससे परिवार में खुशहाली आएगी।
शुभ रंग– नवरात्रि की महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा में गुलाबी रंग बहुत शुभ माना गया है। गुलाबी रंग प्रेम और नारीत्व का प्रतीक है।
सिद्धदात्री मां का महत्व...
यह मां आठों देवियों को अपने में समेटे हुए है। आठों देवियों का गुण इनमें समाहित है। अकेले इन्हीं की पूजा से संपूर्ण देवियों की पूजा का भी फल साथ ही साथ मिल जाता है। यह मां कई तरह की सिद्धियों को देने वाली मां है। भक्तगण पर अपनी कृपा निरन्तर बनाएं रखती है। सिद्धि प्रदान करने वाली मां है। इनकी पूजा से भक्त अधिक ऊंचाई पर पहुंचने में सफल हो सकता है। उसकी आर्थिक स्थितियां मजबूत होती है। दरिद्रता दूर होती है। आय के साधन बढ़ते है। मां के आशीर्वाद से भक्तगण निरन्तर उन्नति के शिखर पर आगे बढ़ते रहते है। रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करने में भक्त सफल होते है। संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
नवमी मुहूर्त...
नवरात्रि महा नवमी तिथि शुरू - 3 अक्टूबर 2022, शाम 04.37।
नवमी तिथि समाप्त - 4 अक्टूबर 2022, दोपहर 02.20।
हवन मुहूर्त - सुबह 06.21 - दोपहर 02.20 (4 अक्टूबर 2022)।
अवधि - 8 घंटे
नवरात्रि नवमी व्रत का पारण - 02.20 मिनट के बाद (4 अक्टूबर 2022)।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:43 - सुबह 05:32।
अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:52 - दोपहर 12:39।
रवि योग - पूरे दिन।
महानवमी की पूजा-विधि...
यह नौ दुर्गा का आखिरी दिन भी होता है, तो इस दिन माता सिद्धिदात्री के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है। सबसे पहले मां की चौकी पर मां सिद्धिदात्री की तस्वीर या मूर्ति रखें। इस दिन मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा करें, जिसमें उनको पुष्प, अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, फल आदि समर्पित करें। मां सिद्धदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं, इनकी पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करना उत्तम होता है।
सिद्धिदात्री मां का मंत्र...
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
सिद्धिदात्री मां की आरती...
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता ।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि ।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम ।
हाथ सेवक के सर धरती हो तुम ।।
तेरी पूजा में न कोई विधि है ।
तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है ।।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो ।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।
तू सब काज उसके कराती हो पूरे ।
कभी काम उस के रहे न अधूरे ।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया ।
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया ।।
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली ।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली ।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ।
महानंदा मंदिर में है वास तेरा ।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ।
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता ।।
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