नागरिक द्वारा की गई ‘धोखाधड़ी’ को गंभीरता से लिया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने एक बच्चे की अभिरक्षा की लड़ाई में भारतीय मूल के एक केन्याई नागरिक द्वारा की गई ‘धोखाधड़ी’ को गंभीरता से लिया है और उसकी मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए उठाये गए कदम तथा बच्चे की अभिरक्षा उसकी मां को हस्तांतरित किया जाना सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से रिपोर्ट तलब की है। शीर्ष अदालत ने राजकोट के आश्वस्ति पंजीयक को निर्देश दिया कि वह अवमानना के दोषी पेरी कंसागरा की दो परिसम्पत्तियों का इस बारे में विस्तृत ब्योरा सौंपे कि क्या दोनों परिसम्पतियों में अन्य किसी का हिस्सा है या नहीं, ताकि उसे कुर्क करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्ह की पीठ ने गत 11 जुलाई को कंसागरा को अवमानना का दोषी ठहराया था। पीठ ने यह कार्रवाई कंसागरा द्वारा अपने बच्चे की अभिरक्षा हासिल करने के बाद वायदे के मुताबिक फिर से उसके समक्ष न पहुंचकर उसके साथ ‘धोखाधड़ी’ करने के कारण की थी। पीठ ने शुक्रवार को सीबीआई को याद दिलाया कि उसे आश्वासन दिया गया था कि कंसागरा और उसके बच्चे की इस अदालत के समक्ष पेशी सुनिश्चित करने के लिए केन्या में केंद्रीय एजेंसियों और भारतीय दूतावास द्वारा हरसंभव मदद और सहायता प्रदान की जाएगी।
पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘सीबीआई की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रजत नायर ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट आठ अक्टूबर, 2022 को या उससे पहले दायर की जाएगी। जो जरूरी है, उसे करने दें।’’ इसने बच्चे की मां की इस दलील का संज्ञान लिया कि राजकोट में उसके परित्यक्त पति की दो संपत्तियां हैं और शीर्ष अदालत के समक्ष पेश नहीं होने के लिए उसकी इन दोनों सम्पत्तियों को कुर्क की जानी चाहिए।
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