पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध, याचिका पर विचार से इनकार
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के समक्ष पटाखों से संबंधित मुद्दों के विचाराधीन होने के मद्देनजर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने संबंधी फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने उन दो व्यापारियों की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें त्योहारों के दौरान ‘‘केवल हरित पटाखे खरीदने, बेचने और भंडारण’’करने की अनुमति दिये जाने का आग्रह किया गया था।
अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के लिए इस तरह के मामले पर स्वतंत्र रूप से गौर करना उचित नहीं है, क्योंकि यह मुद्दा शीर्ष अदालत का ‘‘ध्यान आकर्षित करने वाला प्रतीत होता है।’’ अदालत ने हालांकि कहा कि याचिकाकर्ता अपनी शिकायतों के निवारण के लिए कानून के तहत उचित कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं।
उसने कहा, ‘‘रिकॉर्ड में रखी गई सामग्री पर अदालत ने गौर किया कि दिवाली के दौरान पटाखों के इस्तेमाल के परिणामस्वरूप प्रदूषण के मुद्दे पर पहली बार उच्चतम न्यायालय ने (एक मामले में) विचार किया था। स्वीकार्य पटाखों की बिक्री, खरीद और फोड़ने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक और रिट याचिका दायर की गई थी।’’
डीपीसीसी द्वारा आगामी महीनों के दौरान शहर में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर लगाए गए प्रतिबंध की आलोचना करते हुए हरित पटाखा व्यापारियों ‘शिव फायरवर्क्स’ और ‘जय माता स्टोर्स’ ने पिछले महीने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा था कि डीपीसीसी द्वारा 14 सितंबर को लगाया गया प्रतिबंध मनमाना और अवैध है और इससे उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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