गांगुली को 'आईसीसी' चुनाव लड़ने की अनुमति मिलें
मिनाक्षी लोढी
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल के दौरे पर जाने से पहले कोलकाता हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध करती हूं कि यह सुनिश्चित हो कि सौरव गांगुली को आईसीसी (International Cricket Council) चुनाव लड़ने की अनुमति मिलें। वह एक लोकप्रिय व्यक्ति हैं, सब उनको जानते हैं। सरकार से राजनीतिक रूप से निर्णय न लें बल्कि क्रिकेट और खेल के लिए लें। वह राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सौरव गांगुली के ICC चुनाव लड़ने के समर्थन में खड़ी हुई हैं। बनर्जी ने कहा, मैं प्रधानमंत्री से अपील करती हूं कि गांगुली को आईसीसी चुनाव लड़ने की इजाजत मिले… यह सुनिश्चित किया जाए। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि गांगुली एक लोकप्रिय शख्सियत हैं, इसलिए उन्हें वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, भारत सरकार से अपील करती हूं कि राजनीतिक तौर पर फैसला न लिया जाए, क्रिकेट और खेल को ध्यान में रखें। वह राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं।
सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के निवर्तमान प्रमुख हैं। वह फिर से अपनी राज्य इकाई बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के अध्यक्ष पद पर वापसी करने वाले हैं। पूर्व भारतीय कप्तान ने शनिवार को कहा कि वह कैब चुनाव लड़ेंगे। दरअसल, गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटना पड़ा क्योंकि बोर्ड में अभी तक कोई भी 3 साल से अधिक समय तक इस पद पर काबिज नहीं रहा है। वह बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से पहले 2015 से 2019 के बीच 4 साल तक कैब अध्यक्ष रहे थे।
घटनाक्रम पर नजर रखने वालों को लगता है कि काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि आईसीसी चेयरमैन के संबंध में बीसीसीआई क्या फैसला करता है। फिलहाल अगर बीसीसीआई के रूख को देखा जाए तो गांगुली के आईसीसी अध्यक्ष पद के लिए बीसीसीआई के उम्मीदवार बनने की संभावना कम है। अगर बीसीसीआई के अधिकारियों का हृदय परिवर्तन होता है तो कैब अध्यक्ष के रूप में गांगुली बोर्ड की विभिन्न बैठकों में उनके प्रतिनिधि के तौर पर बोर्ड के प्रशासनिक गलियारों में प्रासंगिक बने रहेंगे।
इससे पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता मदन मित्रा ने आरोप लगाया था कि सौरव गांगुली को बीसीसीआई प्रमुख इसलिए बनाया गया था ताकि भाजपा उन्हें ममता बनर्जी के खिलाफ अपने संभावित मुख्यमंत्री के रूप में खड़ा कर सके। सौरव गांगुली वह नहीं कर पाए जो मिथुन चक्रवर्ती ने बीजेपी के लिए किया। भाजपा में शामिल होने से इनकार करने वाले लोग जेल में बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन भाजपा ने गांगुली के साथ ऐसा नहीं किया क्योंकि वह एक राष्ट्रीय प्रतीक हैं।
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