कर्नाटक मंत्रिमंडल ने अध्यादेश लाने का फैसला किया
इकबाल अंसारी
बेंगलुरु। कर्नाटक मंत्रिमंडल ने राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के आरक्षण को बढ़ाने के लिए एक अध्यादेश लाने का बृहस्पतिवार को फैसला किया। मंत्रिमंडल ने आठ अक्टूबर को एससी/एसटी कोटा बढ़ाने के लिए अपनी औपचारिक मंजूरी दे दी थी। राज्यपाल की मंजूरी के बाद अध्यादेश जारी होने पर एससी के लिए आरक्षण 15 से बढ़कर 17 प्रतिशत और एसटी के लिए तीन से बढ़कर सात प्रतिशत हो जाएगा।
हालांकि, इससे कर्नाटक में आरक्षण की सीमा 56 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी जो कि इंदिरा साहनी के फैसले में उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की गई 50 प्रतिशत सीमा से ऊपर है। इसलिए सरकार आने वाले दिनों में इसे कानूनी संरक्षण देने के लिए संविधान की 9वीं अनुसूची के तहत कोटा वृद्धि लाने की सिफारिश करेगी। कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री जे. सी. मधुस्वामी ने मंत्रिमंडल की बैठक यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘एससी/एसटी आरक्षण बढ़ाने के फैसले के बाद हमने मंत्रिमंडल के समक्ष इस आशय संबंधी एक विधेयक पेश किया और इसे राज्यपाल के पास अध्यादेश जारी करने के लिए भेजने का फैसला किया गया।’’ सरकार ने पूर्व में कोटा बढ़ाने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी करने का फैसला किया था।
एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा, ‘‘हमने पहले महसूस किया था कि कार्यकारी निर्णय पर्याप्त होगा, लेकिन बाद में लगा कि अगर अदालत में इस पर सवाल उठाया जाता है तो इससे समस्याएं पैदा हो सकती हैं, इसलिए हमने अध्यादेश लाने का फैसला किया है।’’ मधुस्वामी ने कहा कि अध्यादेश संविधान के विभिन्न वर्गों का हवाला देते हुए एक विस्तृत नोट के साथ आरक्षण में बढ़ोतरी को सही ठहराता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस बात पर जोर दिया है कि पहले कर्नाटक में अनुसूचित जाति के तहत केवल छह जातियां थीं, जिनमें अब 103 जातियां, घुमंतू और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को जोड़ा गया है, इसलिए जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई है, और जैसा कि संविधान पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए कहता है, हमें एससी के लिए लगभग 17 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय करना होगा।’’
उन्होंने कहा कि इसी तरह, नायका और नायक जैसे विभिन्न समुदायों को एसटी में शामिल करने के बाद उनकी आबादी में भारी वृद्धि हुई है, और चूंकि वे लगभग सात प्रतिशत हैं, इसलिए उनके आरक्षण में वृद्धि की गई है। एससी/एसटी कोटा बढ़ाने का निर्णय कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच. एन. नागमोहन दास की अध्यक्षता में एक आयोग की सिफारिश के अनुरूप है।
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