गणेश पूजा: आज मनाया जाएगा 'करवाचौथ' का पर्व
सरस्वती उपाध्याय
करवाचौथ का व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का प्रतीक है। पति-पत्नी के पारस्परिक प्रेम का त्योहार करवाचौथ गुरुवार, 13 अक्टूबर को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इसको करने वाली महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर के पति की आयु की कामना से करवाचौथ के व्रत का संकल्प लेती हैं।
करवाचौथ पर्व का महत्व...
बता दें कि करवाचौथ का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर शिव परिवार के साथ-साथ करवा माता की उपासना करती हैं और उनसे अपनी पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
अनेक महिलाएं करवा चौथ का उद्यापन करती हैं और चीनी के 16 करवे वितरित करती हैं। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि करवा चौथ पर चंद्रोदय रात करीब 8.21 मिनट पर होगा।
ऐसे करें व्रत...
दिन में निराहार रहें। आवश्यक हो तो चाय, दूध और फलाहार कर सकते हैं। दुपहर बाद अपने घर की सभी महिलाएं अथवा पड़ोस की महिलाएं इकट्ठा होकर किसी मंदिर में अथवा किसी महिला के घर एकत्र होकर करवाचौथ की कहानी सुनें। बुजुर्ग महिलाएं अथवा सासु आदि से कहानी सुनी तो अच्छा होता है। सास और बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। उनको बायना दें।
इतने बजे होगा चंद्र उदय...
चंद्रमा उदय होने पर करवे से चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपने पति के आरती करें। पति के हाथ से अपने व्रत का समापन करें और भोजन करें। इस बार करवाचौथ के दिन बहुत अच्छे योग बन रहे हैं। सिद्धि योग में करवाचौथ का व्रत आरंभ होगा। कृतिका के चंद्रमा अर्थात वृष राशि में चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहेंगे। उच्च राशि में चंद्रमा बहुत शुभ होते हैं। वे सभी मनोकामना पूरा करने वाले होते हैं। पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह योग शुभ है। करवाचौथ पूजन करने के लिए यह मुहूर्त श्रेष्ठ है। 13 अक्टूबर को चंद्रमा रात्रि 8:12 बजे उदय होंगे। तभी महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करेंगी।
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