छात्रवृत्ति समारोह में शामिल हुए, जयशंकर-हसीना
अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय
नई दिल्ली/ढाका। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पुरस्कार वितरण बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान छात्रवृत्ति समारोह में बुधवार को शामिल हुए। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच के सांख्यिकी साझेदारी पिछले दशक में और आगे बढ़ी है। 50 साल की मज़बूत संबंधों में दोनों देशों ने बहुत से क्षेत्रों में अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाया है। हमने समुद्री और सीमा से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा को आगे बढ़ाया है। भारत और बांग्लादेश संयुक्त तौर पर बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान पर बायोपिक बना रहे हैं, जिसपर काम जारी है। हम इसके जल्द रिलीज होने की उम्मीद कर रहे हैं।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि हमारे लिए भी बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व है। बांग्लादेश की तरह भारत में भी उन्हें याद किया जाता है। PM ने कहा कि बंगबंधु हमारे भी राष्ट्रीय नायक हैं। उनके सम्मान में दोनों देश उन पर एक बायोपिक बना रहे हैं जो पूरी होने वाली है। बता दें कि इंडिया के सबसे काबिल और दिग्गज फिल्ममेकर्स में गिने जाने वाले श्याम बेनेगल की नई फिल्म आ रही है। इसका नाम है- Mujib: The Making of a Nation ये बांग्लादेशी लीडर शेख मुजीबुर्रहमान की बायोपिक है।
शेख मुजीबुर्रहमान के बारे में जानिए...
शेख मुजीबुर्रहमान का बांग्लादेश की आज़ादी में उनका बड़ा हाथ था। उन्हें ‘बंगबंधु’ के नाम से भी जाना जाता था, जिसका मतलब होता है बंगाल का दोस्त। बायोपिक को इंडिया की नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और बांग्लादेश फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने मिलकर बनाया है।
शेख मुजीबुर्रहमान ने अवामी लीग पार्टी की स्थापना की थी। ये बांग्ला लोगों की पार्टी थी। इसी पार्टी ने ईस्ट पाकिस्तान को अलग देश बनाने के लिए आंदोलन शुरू किया था। 1970 में पाकिस्तान के पहले डेमोक्रेटिक इलेक्शन में उनकी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की। मेजॉरिटी हासिल करने के बावजूद उन्हें पाकिस्तान में सरकार नहीं बनाने दी गई। इस चीज़ से नाराज़ आबादी के एक बड़े हिस्से ने असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया। देशभर में प्रोटेस्ट होने लगे। 7 मार्च, 1971 को ढाका के रामना रेस कोर्स में मुजीब ने 10 लाख लोगों के सामने एक भाषण दिया।
इस स्पीच में उन्होंने बांग्लादेश की आज़ादी की घोषणा कर दी। ईस्ट पाकिस्तान में हो रहे प्रोटेस्ट के जवाब में पाकिस्तानी आर्मी ने ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया। इस ऑपरेशन के पहले फेज़ में मुजीब को गिरफ्तार कर पश्चिमी पाकिस्तान की किसी गुमनाम जगह पर कैद कर दिया गया। देश में कत्ल-ए-आम मच गया. मुजीब की गैर-मौजूदगी में लाखों लोगों ने गुरिल्ला आर्मी मुक्ति बाहिनी जॉइन कर ली। उन्होंने भारतीय सेना की मदद से पाकिस्तानी आर्मी को हरा दिया और ऐसे एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। बांग्लादेश की आज़ादी के बाद पाकिस्तान पर इंटरनेशनल प्रेशर काफी बढ़ गया। इसकी वजह से उन्हें मुजीब को छोड़ना पड़ा। 1972 में मुजीब बांग्लादेश लौटे और देश के पहले प्रधानमंत्री बने। 15 अगस्त, 1975 को बांग्लादेशी आर्मी के कुछ अफसरों ने तख्तापलट की कोशिश की. इस प्रोसेस में 15 अगस्त की सुबह शेख मुजीबुर्रहमान समेत उनकी फैमिली के कई सदस्यों की हत्या कर दी गई। पिलहाल उनकी बेटी शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं।
पहले इस बायोपिक का नाम बंगबंधु था...
श्याम बेनेगल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पहले इस फिल्म का नाम बंगबंधु था, क्योंकि पब्लिक उन्हें उसी नाम से जानती थी। मगर फिर उन्होंने शेख हसीना से बात की. शेख हसीना ने उन्हें बताया कि बंगबंधु नाम काफी ज्यादा इस्तेमाल हो चुका है, इसलिए उन्हें इस फिल्म का नाम मुजीब रखना चाहिए। फिल्म का नाम बदलने के पीछे की एक वजह ये भी थी कि शेख मुजीबुर्रहमान को उनके आखिरी 6 सालों में बंगबंधु नाम से जाना गया। जबकि ये फिल्म उनकी पूरी लाइफ को कवर करती है। मुजीब- द मेकिंग ऑफ अ नेशन श्याम बेनेगल के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि की तरह है। उन्होंने 87 साल की उम्र में कोविड-19 पैंडेमिक के दौरान फिल्म को पूरा किया। फिल्म की शूटिंग खत्म हो चुकी है। फिलहाल पोस्ट-प्रोडक्शन का काम चल रहा है।
मुजीब- द मेकिंग ऑफ अ नेशन को इंडिया और बांग्लादेश की अलग-अलग लोकेशंस पर शूट किया गया है। फिल्म की कास्टिंग का प्रोसेस भी जटिल था, क्योंकि बांग्लादेशी लोगों की भाषा, पश्चिम बंगाल में बोली जाने वाली बांग्ला से थोड़ी अलग होती है, इसलिए श्याम बेनेगल इस फिल्म में बांग्लादेशी एक्टर्स को ही कास्ट करना चाहते थे। इस फिल्म में मुजीब का टाइटल कैरेक्टर प्ले किया है अरिफिन शुवु ने। उन्हें फिल्म ढाका अटैक के लिए बांग्लादेश नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिल चुका है। उनके साथ डूब- नो बेड ऑप रोजेज फेम एक्ट्रेस नुशरत इमरोज़ तिशा, फज़लुर रहमान बाबू, चंचल चौधरी और नुसरत फारिया जैसे एक्टर्स ने भी इस फिल्म में काम किया है।
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