तिवारी द्वारा दायर याचिका पर 10 अक्टूबर को सुनवाई
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राजधानी दिल्ली में प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए एक जनवरी, 2023 तक सभी प्रकार के पटाखों के भंडारण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद मनोज तिवारी द्वारा दायर एक याचिका पर 10 अक्टूबर को सुनवाई करने पर शुक्रवार को सहमति व्यक्त की। तिवारी ने कहा है कि जीने के अधिकार के बहाने धर्म की स्वतंत्रता को नहीं छीना जा सकता। उन्होंने इसके साथ ही यह भी अनुरोध किया है कि सभी राज्यों को यह निर्देश दिया जाए कि वे दीपावली जैसे आगामी त्योहारों के दौरान अनुमेय मात्रा में पटाखों की बिक्री या उसका इस्तेमाल करते पाये जाने वाले आम लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने जैसा कोई दंडात्मक कार्रवाई ना करें। याचिका प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित के नेतृत्व वाली पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुई। पीठ ने कहा कि वह याचिका पर 10 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल स्पष्ट किया था कि पटाखों के इस्तेमाल पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और केवल बेरियम लवण वाले पटाखों की आतिशबाजी पर ही प्रतिबंध है। शीर्ष अदालत ने किसी भी चूक के लिए विभिन्न स्तरों पर शीर्ष अधिकारियों को ‘‘व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराये जाने’’ की चेतावनी देते हुए कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसके निर्देशों के बावजूद खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।तिवारी ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर अपनी याचिका में कहा है कि कई राज्य सरकारों और उच्च न्यायालयों ने 2021 में शीर्ष अदालत के रुख के विपरीत आदेश पारित किए और पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। याचिका में कहा गया है, ‘‘कई अलग-अलग आदेशों, निर्देशों और विचारों के साथ, लोगों के लिए यह समझना मुश्किल भरा है कि पटाखों की अनुमति दी गई है या नहीं जबकि इस अदालत ने इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार दिया था।’’
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट आदेशों के बावजूद कई राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों ने दीपावली त्योहार मनाये जाने के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की और प्राथमिकी दर्ज की और कर्फ्यू लगा दिये। इसमें कहा गया है, ‘‘मुख्य सचिवों, पुलिस आयुक्तों, पुलिस जिला अधीक्षकों, थाना प्रभारियों और अन्य लोगों ने अपने-अपने राज्य सरकारों के आदेशों का पालन करने के लिए उन आम लोगों के खिलाफ कार्रवाई की, जिन्हें पटाखा खरीदते समय पटाखों की सामग्री के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी।’’ याचिका में कहा गया है, ‘‘दीपावली जैसे त्योहारों के मौसम में इस तरह की गिरफ्तारी और प्राथमिकी की वजह से न केवल बड़े पैमाने पर समाज में एक बहुत बुरा संदेश गया है, बल्कि अनावश्यक रूप से लोगों में भय और गुस्सा पैदा हुआ है।’’
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