लोक कलाओं की परंपराओं को बचाए रखना जरूरी
नरेश राघानी
जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार को कहा, कि आधुनिकता के शोरगुल में लोक कलाओं की हमारी परंपराओं को बचाए रखना जरूरी है। उन्होंने लोक कलाओं की पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही विरासत को समय संदर्भों के साथ संरक्षित और विकसित करने का आह्वान किया। मिश्र राजभवन में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा आयोजित ‘कला संवाद’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “जिस तरह से हमारे यहां शास्त्रीय नृत्य और संगीत के घराने हैं, उसी तरह राजस्थान में लोक कलाओं के घराने हैं। इन घरानों ने राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को पीढ़ी दर पीढ़ी सहेजकर रखा है।” उन्होंने सरकार और समाज द्वारा ऐसे कलाकारों का सहयोग करने और सांस्कृतिक विरासत के दस्तावेजीकरण के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। एक बयान के मुताबिक, आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि राजस्थान के राजभवन से लोक कलाकारों से संवाद की पहल की गई है। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद का प्रयास है कि सुदूर देशों तक भारतीय कलाओं के जरिये हमारी संस्कृति का प्रसार हो।”
इस अवसर पर राज्यपाल और आईसीसीआर अध्यक्ष ने लोक कलाकारों से एक-एक कर संवाद भी किया और उनकी कलाओं तथा योगदान के साथ भविष्य की योजनाओं व सहयोग पर चर्चा की। मिश्र और सहस्त्रबुद्धे ने डॉ. राजेश कुमार व्यास की पुस्तक ‘कला-मन’ का लोकार्पण भी किया। संस्कृतिकर्मी, कवि और कला आलोचक डॉ. व्यास राजभवन में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। मिश्र ने कहा कि डॉ. व्यास कला की गहराई में जाकर उसकी व्याख्या इस रोचक ढंग से करते हैं कि ऐसा लगता है मानो हम शब्दों में कलाओं का आस्वाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. व्यास सहज और कलात्मक सौंदर्य वाली अपनी भाषा से पढ़ने वालों को लुभाते हैं। डॉ. व्यास की पुस्तक ‘कला-मन’ वैचारिक निबंधों का संग्रह है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.