लाइफस्टाइल और गलाकाट प्रतिस्पर्धा, डिप्रेशन
सरस्वती उपाध्याय
बदलती लाइफस्टाइल डिप्रेशन की बड़ी वजह बन रही है। जेनेटिक टेस्टिंग के शुरुआती नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले हैं। तेजी से बदल रही लाइफस्टाइल और गलाकाट प्रतिस्पर्धा ने लोगों को तेजी से डिप्रेशन का मरीज बनाया है। बीते कुछ दशकों में ही डिप्रेशन के शिकार पेशेंट्स काफी बढ़ गए हैं। लोगों को डिप्रेशन से उबारने के लिए लगातार स्टडीज़ की जा रही हैं।
हाल ही में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन्स अफे़यर्स की स्टडी में कहा गया है कि फार्माकोजेनोमिक टेस्टिंग से एंटी-डिप्रेशन मेडिकेशन को अवॉइड किया जा सकता है। बता दें कि एंडी-डिप्रेशन मेडिकेशन से मरीजों में कई बार अनचाहे नतीजे भी देखने को मिल जाते हैं।
जानें क्या है फार्माकोजेनोमिक्स
फार्माकोजेनोमिक्स दवाइयों के प्रति हमारे जींस किस तरह प्रतिक्रिया दे रहे हैं इसकी स्टडी है। इस नई स्टडी के नतीजे हाल ही में जरनल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में भी प्रकाशित किए गए हैं। स्टडी के दौरान रिसर्चर्स ने ये भी पाया कि जिन मरीजों पर जेनेटिक टेस्टिंग की गई है उनके परिणाम, सामान्य केयर वाले मरीजों की तुलना में बेहतर मिले हैं। स्टडी के दौरान 24 हफ्तों तक मरीजों का इलाज किया गया, जेनेटिक टेस्टिंग वाले ग्रुप में 12 हफ्तों के बाद डिप्रेशन के लक्षणों में कमी नजर आई।
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