जुबैर को अंतरिम जमानत देने का फैसला सुनाया: एससी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। फैक्ट चेकर और ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को अंतरिम जमानत देने का फैसला सुनाया है। इतना ही नहीं, जुबैर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।
इससे पहले हाईकोर्ट की तरफ से जुबैर की जमानत याचिका खारिज की गई थी और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। इसके बाद जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट में राहत की गुहार लगाई थी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को 5 दिनों के लिए अंतरिम ज़मानत इस शर्त पर दी है कि वे मामले से संबंधित मुद्दे पर कोई नया ट्वीट पोस्ट नहीं करेंगे और सीतापुर मजिस्ट्रेट की अदालत के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेंगे।
जानें, कोर्ट में क्या-क्या हुआ ?
मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें खुद की जान को खतरा बताते हुए जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत देने की अपील की, लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से जमानत नहीं देने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि, जुबैर ने सिर्फ एक ट्वीट नहीं किया है, बल्कि उनकी ऐसे अपराध करने की आदत रही है।
सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि, 1 जून को FIR दर्ज हुई और 10 जून को हाई कोर्ट ने FIR रद्द करने से मना किया। इसके बाद बहुत से तथ्य छुपाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट के जज ने पूछा कि, क्या वह गिरफ्तार है? जवाब में मेहता ने कहा कि, कोर्ट के आदेश से पुलिस हिरासत में है। यह सब तथ्य सुप्रीम कोर्ट से छुपाए गए। यह गंभीर मामला है।
इसके बाद ज़ुबैर के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि, हमें सीतापुर कोर्ट से ज़मानत खारिज होने का आदेश कल रात में मिला। हमने तो हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें केस रद्द करने से मना किया गया था।
कोर्ट ने कहा कि लेकिन ज़मानत रद्द हो जाने को चुनौती देने का दूसरा कानूनी रास्ता है, यह नहीं। इसके बाद गोंजाल्विस ने ज़ुबैर के ट्वीट्स का हवाला देकर बताया कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि, पुलिस हिरासत बेंगलुरु से फोन ज़ब्त करने के नाम पर दी गई है। जब मैं स्वीकार कर रहा हूं कि ट्वीट मैंने किया था, तो फोन ज़ब्त करने का सवाल क्यों उठना चाहिए। जिसने नफरत फैलाने वालों की जानकारी सामने लाई, वह जेल में है। नफरत फैलाने वाले आज़ाद घूम रहे हैं।
जुबैर के वकील ने आगे कहा कि, धर्म का अपमान करने की धारा लगाई है, मामले के तथ्यों के आधार पर वह लागू नहीं होती। अश्लील सामग्री पोस्ट करने की धारा लगाई है, वह भी लागू नहीं होती। ज़ुबैर की ज़िंदगी खतरे में है, इसलिए कोर्ट आए हैं, धमकी दी जा रही है।
इसके बाद सॉलिसीटर जनरल मेहता ने कहा कि, सवाल 1-2 ट्वीट के नहीं हैं। जांच इस बात की है कि क्या कोई सिंडिकेट है, जो समाज को अस्थिर करने वाली सामग्री लगातार डाल रहा है। मामले में अवैध विदेशी फंडिंग की भी जांच चल रही है। यह खुद को फैक्ट चेकर बताते हैं, पर सुप्रीम कोर्ट से ही कई फैक्ट छुपा लिए हैं। यह व्यक्ति आदतन अपराधी है। पिछले 2 साल में 6 केस दर्ज हुए हैं।
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