चीतों को बसाने का सबसे ज्यादा उपर्युक्त स्थान मिला
नरेश राघानी
जयपुर/काेटा। राजस्थान में पूर्व मंत्री एवं कोटा जिले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर नेे मुकुंदरा हिल्स अभयारण्य को चीता बसाने के दृष्टि से नामीबिया के विशेषज्ञों की टीम के उपर्युक्त पाए जाने की रिपोर्ट का स्वागत करते हुए कहा है कि यह राज्य सरकार के लिए दुर्लभ अवसर है और इसे गवां दिया, तो आने वाली पीढ़ियां कभी भी माफ नहीं करेगी। सिंह ने कहा कि यह रिपोर्ट न केवल वन-वन्य जीवों एवं पर्यावरण प्रेमियों के लिए, बल्कि राज्य सरकार के लिए भी अति प्रसन्नता का विषय है।
इस रिपोर्ट में संसाधनों की उपलब्धता के कारण हर दृष्टि से मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के 80 वर्ग किलोमीटर के दर्रा क्लोजर को पूरी दुनिया में दुर्लभ होते जा रहे चीतों को बसाने के लिए सबसे ज्यादा उपर्युक्त स्थान पाया है और यह एक सुनहरा अवसर है। जब राज्य सरकार केंद्र से बातचीत करके चीतों के पुनर्वास के इस अवसर का लाभ उठाते हुए हाडोती अंचल में फिर से चीतों का आबाद करने की दिशा में सार्थक कदम उठा कर वन्यजीव प्रेमियों का सपना साकार करना चाहिए।
नामीबिया से आई वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम ने मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क, गांधी सागर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सहित कोटा के मुकुंदरा हिल्स अभयारण्य का 12 से 21 जून के बीच अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट में कोटा जिले में अभयारण्य के 80 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को चीतों के पुनर्वास के लिए सबसे अधिक उपर्युक्त पाया था जहां दो मादा एवं एक नर चीते को बसाया जा सकता है।
नामीबिया के विशेषज्ञ की ओर से प्रस्तुत इस रिपोर्ट की प्रतिलिपि संलग्न कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, को भेजे एक पत्र में बोर्ड के सदस्य सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार और वहां का वाइल्ड़ लाईफ़ बोर्ड़ कूनो नेशनल पार्क में चीते बसाने की संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार के स्तर पर लगातार बातचीत करते हुए नामीबिया से चीते लाकर मध्य प्रदेश के अभयारण्य में बसाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं और कई कदम आगे बढ़ भी चुके हैं।
इसके विपरीत राजस्थान का तो इस बारे में अभी रूख ही स्पष्ट नहीं है। सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि वन्यजीवों के कुछ कथित विषय विशेषज्ञ अपने निजी स्वार्थ को लेकर अभयारण्य में चीते बसाने पर अड़ंगा लगा रहे हैं लेकिन प्रदेश के मुखिया होने के नाते कम से कम गहलोत तो यह समझे कि यदि ऐसे स्वार्थी लोगों की कोशिशें कामयाब हुई तो हाडोती के पर्यटन विकास को बहुत बड़ा झटका लगेगा। उन्होंने चेताया कि अब समय काफी कम बचा है और लगता है कि चीता बसाने के मामले में राजनीति हावी हो रही है लेकिन इस बात को अच्छे से समझ लेना चाहिए कि यदि यह मौका खो दिया तो इस गलती के लिए समय हमें कभी माफ नहीं करेगा।
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