कृष्ण-पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है 'शिवरात्रि'
सरस्वती उपाध्याय
सावन शिवरात्रि का दिन भगवान भोलेनाथ के लिए सर्वोत्तम होता है। भगवान शिव को समर्पित सावन का पवित्र माह 14 जुलाई से आरंभ हो गया है। हर सावन माह के कृष्ण-पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की विधिवत पूजा की जाती है। इससे भगवान शिव अति प्रसन्न होकर भक्तों के सारे दुःख दर्द दूर करते है। उनकी हर इच्छा पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं।
इस बार चतुर्दशी तिथि दो दिन पड़ रही है। ऐसे में सावन शिवरात्रि का व्रत जुलाई को रखा जायेगा या फिर 27 जुलाई को। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत 26 जुलाई को रखा जायेगा और इस व्रत का पारण 27 जुलाई को किया जाएगा।
सावन शिवरात्रि पूजा की अवधि: 42 मिनट।
सावन शिवरात्रि व्रत पूजा के दौरान न करें ये गलती। भगवान शिव जी की पूजा में तुसली पत्र नहीं चढ़ाया जाता है और नहीं इनके भोग में ही तुलसी पत्र शामिल किया जाता है। इसके पीछे की मान्यता यह है कि भगवान विष्णु ने तुलसी को अपनी पत्नी स्वीकार कर लिया था।
सावन शिवरात्रि व्रत के दिन महिलाओं को खट्टी चीज नहीं खाना चाहिए। नहीं तो व्रत का पूरा पुण्य फल नहीं मिलता। सावन शिवरात्रि की पूजा में भगवान भोलेनाथ को केतकी का फूल, सिंदूर, हल्दी, कुमकुम नहीं अर्पित किया जाता।
भगवान शिव के जलाभिषेक में केवल तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल करें। अन्य किसी भी प्रकार के वर्तन का उपयोग नहीं किया जाता है।
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