बुधवार, 8 जून 2022

पीड़िता के पिता को 2 दिन की सजा, 500 रूपये जुर्माना

पीड़िता के पिता को 2 दिन की सजा, 500 रूपये जुर्माना

संदीप मिश्र 
इटावा। उत्तर प्रदेश में इटावा जिले की एक अदालत ने दुष्कर्मियो के पक्ष मे बयान देने से नाराज पीड़िता के पिता को 2 दिन की सजा सुनाते हुए 500 रूपये जुर्माना वसूलने के निर्देश दिये है। अभियोजन पक्ष के अनुसार दो दिन की यह सजा न्यायालय विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट कोर्ट संख्या-2 अवधेश कुमार ने सुनाई है। बुलडोजर- जमींदोज किए गए 50 से ज्यादा फार्म हाउस उन्होेने बताया कि न्यायालय विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट कोर्ट संख्या-2 अवधेश कुमार ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए वादी के अपना साक्ष्य बदले जाने व प्रतिवादी के पक्ष में बयान देने पर वादी के खिलाफ ही न्यायालय में मुकदमा चलाने का आदेश दिया और दो दिन की सजा व 500 रुपये का अर्थदंड सुनाया है। विशेष शासकीय अधिवक्ता रमाकांत चतुर्वेदी ने बताया कि थाना ऊसराहार में जागेश्वर दयाल ने 14 अगस्त 2012 को मुकदमा दर्ज कराया था कि गांव के ही रवि व अखिलेश ने उसकी पुत्री के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। इस मामले में पुलिस ने एससीएसटी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। न्यायालय में आरोपित रवि व अखिलेश के तलब होने पर जागेश्वर दयाल ने यह साक्ष्य दिया कि गांव वालों के कहने के अनुसार उसने एफआइआर दर्ज कराई थी। इस आधार पर 29 अक्टूबर 2020 को न्यायाधीश ने रवि व अखिलेश को दोष मुक्त मानते हुए उन्हें बरी कर दिया जबकि जागेश्वर दयाल के खिलाफ अपना बयान पलटने को लेकर व आरोपितों के पक्ष में खड़े होने को लेकर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।
इटावा। उत्तर प्रदेश में इटावा जिले की एक अदालत ने दुष्कर्मियो के पक्ष मे बयान देने से नाराज पीड़िता के पिता को दो दिन की सजा सुनाते हुए पांच सौ रूपये जुर्माना वसूलने के निर्देश दिये है। अभियोजन पक्ष के अनुसार दो दिन की यह सजा न्यायालय विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट कोर्ट संख्या-2 अवधेश कुमार ने सुनाई है। बुलडोजर- जमींदोज किए गए 50 से ज्यादा फार्म हाउस उन्होेने बताया कि न्यायालय विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट कोर्ट संख्या-2 अवधेश कुमार ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए वादी के अपना साक्ष्य बदले जाने व प्रतिवादी के पक्ष में बयान देने पर वादी के खिलाफ ही न्यायालय में मुकदमा चलाने का आदेश दिया और दो दिन की सजा व 500 रुपये का अर्थदंड सुनाया है। विशेष शासकीय अधिवक्ता रमाकांत चतुर्वेदी ने बताया कि थाना ऊसराहार में जागेश्वर दयाल ने 14 अगस्त 2012 को मुकदमा दर्ज कराया था कि गांव के ही रवि व अखिलेश ने उसकी पुत्री के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। इस मामले में पुलिस ने एससीएसटी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। न्यायालय में आरोपित रवि व अखिलेश के तलब होने पर जागेश्वर दयाल ने यह साक्ष्य दिया कि गांव वालों के कहने के अनुसार उसने एफआइआर दर्ज कराई थी। इस आधार पर 29 अक्टूबर 2020 को न्यायाधीश ने रवि व अखिलेश को दोष मुक्त मानते हुए उन्हें बरी कर दिया जबकि जागेश्वर दयाल के खिलाफ अपना बयान पलटने को लेकर व आरोपितों के पक्ष में खड़े होने को लेकर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।

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