घर के मंदिर में नहीं रखी जाती 'शनिदेव' की मूर्ति
सरस्वती उपाध्याय
भगवान की पूजा के लिए लोग अपने घरों में सभी देवी-देवताओं की मूर्ति रखते हैं। लेकिन घर में शनि देव की मूर्ति नहीं रखी जाती है। आखिर क्या है इसके पीछे की वजह आइए जानें। जैसा के हम सभी लोग जानते है कि शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित होता है।
इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति के कुंडली में शनि की साढ़े साती या महादशा चल रही है तो इस दिन पूजा-पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन इसके बावजूद भी शनिदेव की मूर्ति को घर में रखने पर पाबंदी है।
आइए जानें कि आखिर ऐसी क्या वजह है ?
जिसके कारण शनिदेव की मूर्ति को घर के मंदिर में नहीं रखा जाता।
शास्त्रो में कुछ देवी- देवताओं की तस्वीर लगाना वर्जित माना गया है। इन्हीं में से शनिदेव की मूर्ति घर पर लगाना वर्जित माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव को श्राप मिला था कि वह जिसे भी देखेंगे, उसका अनिष्ट यानी बुरा हो जाएगा। यही वजह है कि शनिदेव (Shani Dev) की दृष्टि सीधे तौर पर हमारे जीवन पर ना पड़े इसलिए शनिदेव की तस्वीर या मूर्ति को घर के मंदिर में रखना सही नहीं माना जाता।
कैसे करें शनि देव की मूर्ति पूजा
शनिवार के दिन पूजा के दौरान लाल रंग या लाल फूल का भी प्रयोग न करें क्योंकि लाल रंग मंगल का परिचायक है और मंगल शनि के शत्रु ग्रह हैं।
इस दिन नीले या काले रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। शनि देव की पूजा में हमेशा लोहे के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।
भूलकर भी शनि देव की पूजा में तांबे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि तांबा का संबंध सूर्यदेव से है और सूर्यपुत्र होने के बावजूद शनि देव सूर्य के परम शत्रु हैं।
पूजा करते समय कभी भी उनकी मूर्ति के सीधे सामने खड़े होकर उनके दर्शन नहीं करने चाहिए।
शनि देव के दर्शन हमेशा मूर्ति के दाएं या बाईं ओर खड़े होकर करना चाहिए।
मंदिर में पूजा करते वक्त शनि देव की आंखों में आंखें डालकर दर्शन नहीं करना चाहिए।
शनि देव की दृष्टि से बचने के लिए बेहतर है कि शनि देव की मूर्ति की बजाय उनके शिला रूप के दर्शन करें।
कृपा पाने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करें, शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
शनि देव को तेल अर्पित करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाता है कि तेल इधर-उधर ना गिरे या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें।
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