जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द के आरोप गलत व बेबुनियाद
संदीप मिश्र
लखनऊ। 3 और 10 जून को जुमे की नमाज के बाद कानपुर और प्रयागराज समेत 9 जिलों में भड़की हिंसा पर बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में लगाए गए आरोपों को यूपी सरकार ने गलत और बेबुनियाद ठहराया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा गया है कि जो भी कार्रवाई की गई है वह नियमों के मुताबिक है। हलफनामा में जमीयत की याचिका को ख़ारिज करने की मांग भी की गई है।
न्यूज़ 18 के हाथ लगे यूपी सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने जो आरोप यूपी सरकार पर लगाये है वह गलत और बेबुनियाद है। सरकार ने कहा कि इस मामले में कोई भी प्रभावित पक्ष कोर्ट में नहीं आया है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले दंगाइयों पर कानून के मुताबिक सीआरपीसी और आईपीसी के तहत कार्रवाई की जा रही है, लिहाजा जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की याचिका खारिज की जाए।
दाखिल किया 63 पेज का हलफनामा
उत्तर प्रदेश के विशेष सचिव गृह राकेश कुमार मालपानी ने सुप्रीम कोर्ट में सबूत संलग्नक सहित 63 पेज का हलफनामा दाखिल किया है। इसमें इसमें 11 पेज हलफनामे के हैं। हलफनामे के साथ जावेद अहमद के घर पर लगा राजनीतिक दल का साइन बोर्ड, नोटिस सभी चीजें कोर्ट को भेजी गई हैं। हलफनामे में कहा गया है कि बुलडोजर चलाकर अवैध रूप से निर्मित संपत्ति ढहाई गई है। ये प्रक्रिया तो काफी पहले से चल रही है। लिहाजा ये आरोप गलत है कि सरकार और प्रशासन हिंसा के आरोपियों से बदले की कार्रवाई कर रही है।
प्रयागराज हिंसा के मास्टरमाइंड का घर हुआ था ध्वस्त
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