मंगलवार, 21 जून 2022

योग का उम्र-जाति, स्थिति या धर्म से कोई लेना-देना नहीं

योग का उम्र-जाति, स्थिति या धर्म से कोई लेना-देना नहीं

इकबाल अंसारी  
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि योग का उम्र, जाति, भौगोलिक स्थिति या धर्म से कोई लेना-देना नहीं है और हर किसी को इसके समृद्ध लाभों को प्राप्त करने के लिए स्वस्थ रहने की इस प्राचीन विधा को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। हैदराबाद में संस्कृति और आयुष मंत्रालयों द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में नायडू ने कहा, ‘‘योग समय की कसौटी पर खरा उतरा है।
योग का उम्र, जाति, भौगोलिक स्थिति या धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। इसीलिए यह सार्वभौमिक है।’’ उन्होंने योग को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने और इसे दुनियाभर में लोकप्रिय बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। नायडू ने इस कार्यक्रम के अयोजन के लिए संस्कृति और आयुष मंत्रालयों को भी सराहा। इस कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, ओलंपिक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु, अभिनेता आदिवासी शेष सहित कई गणमान्य हस्तियों ने शिरकत की।
नायडू ने कहा कि योग देश ही नहीं, बल्कि तन-मन की समरसता, एकता और समग्रता के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘योग व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ और मानसिक रूप से सतर्क बनाता है। यह हमारे पूर्वजों द्वारा मानवता को दिया गया एक महान उपहार है।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि योग एक प्राचीन विधा है, लेकिन यह ‘समय के बंधन से परे है।’ योग के विभिन्न फायदों को रेखांकित करते हुए नायडू ने कहा, ‘‘योगाभ्यास करें, योग का प्रचार करें, योग को स्वीकार करें, योग पर गर्व करें।
यह आप सभी को मेरी सलाह है। यह अंतरराष्ट्रीय दिवस वर्तमान पीढ़ी को योग के महत्व का एहसास कराने के लिए है।’’ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत साल 2015 में हुई थी। तब से हर वर्ष 21 जून को दुनियाभर में इसे मनाया जाता है। इस साल के योग दिवस का विषय ‘मानवता के लिए योग’ है।

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