राम-हनुमान का विरोध, बर्बादी का पुख्ता निशान
कविता गर्ग
मुंबई। महाराष्ट्र में आजकल हर तरफ हलचल है।शिवसेना के सैतीस विधायक बगावत कर गये!कभी बाला साहब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना हिन्दुत्व का परचम लहराते सारे देश में अपनी पहचान हिन्दू वादी पार्टी का बना लिया था। जब भी शिवसेना का नाम आता उसका खूंखार स्वरूप दहाडते शेर के चेहरे के साथ भगवा ध्वज लिए बीर शिवाजी की गौरवशाली गाथा को अलंकृत करते नजर आता था।
बाला साहब ठाकरे के देहावसान के बाद पार्टी भी अवसान के तरफ घरेलू घमासान के जंग में बिदिर्ण हो गयी। हिन्दुत्व का चेहरा बदल गया। राम मन्दिर का विरोध, हनुमान चालीसा का विरोध, अजान पर घमासान के समर्थन से बर्रबादी का पुख्ता निशान छोड़ दिया। आज हालात बदल गये है। शिवसेना के कट्टर हिन्दूबादी चेहरों में सैंतीस उध्वठाकरे के तालिबानी मोह को देखते हुए बगावत का रास्ता बदल दिए। अब संकट के बादल उद्धव सरकार पर गहराता जा रहा है।
न इधर के हुए न उधर के। सहयोगी दल भी इस दल दल से बाहर निकलना चाहते हैं।बीजेपी की खामोश रणनिति गुल खिला दिया है। हिन्दुत्व का ऐजेन्डा सब पर भारी है।सबको बता दिया। सियासी चपला यूं ही खतरनाक आगाज के साथ नहीं चमक बिखेर रही है इसके लिए माकूल मौसम का इन्तजार था। अब महाराष्ट के सियासी आसमान पर बदलाव के काले बादल भी उमड़ने घुमडने लगे हैं।
अगर मौसम माकूल रहा तो हिन्दुत्व का पानी सुनामी बनकर कहर बरपा सकता है। उद्धव सरकार की जड़ें हिला सकता है। साधुओं की हत्या,पूर्वाचल के हिन्दी भाषी फिल्मी कलाकारों की हत्या,हनुमान चालीसा के पाठ पर सियासी खेल फिर जेल धीरे धीरे बगावत की आग को हवा दे रहा था। उद्धव सरकार के सामने बिकट समस्या है आगे नदी तो पीछे गहरी खाई है।जाए तो जाए कहां। अपने बगावत कर दिए। सहयोगी मिलावट कर दिए। ऐसे हालात महाराष्ट्र सरकार को खुली चुनौती मिल रही है।
हालांकि शिवसेना तथा बीजेपी का मीशन एक ही था फिर शिवसेना ने मूगालता पाल लिया अहम हो गया तालिबानी राज जैसे स्वयंभू बनकर राज चलाने का राम काज से विमुख हो गई पार्टी। नतीजा सामने है बदलाव का आगाज औकात पर आ गई सारी अथार्टी। देखिए आज होता क्या है। शिवसेना बीजेपी से मिलकर सरकार बनाती है। या फिर अपना निर्णय बदलती है।आज जो कुछ होगा ऐतिहासिक होगा। बस थोड़ा इन्तजार करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.