श्रम कानून, काम और समय का कैलकुलेशन होगा
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। 1 जुलाई के बाद इस नए कोड की सिफारिशें लागू होंगी तो आपके काम करने के वक्त से लेकर सैलरी की कैलकुलेशन में भी चेंज आ जाएगा।
अगले महीने से आपकी इन हैंड सैलरी कम हो सकती है। यानी जो पैसा महीने के एंड में सैलरी के रूप में आपके एकाउंट में गिरता है। उसमें कमी आ सकती है। इसके पीछे की वजह है कि अगले महीने से केंद्र सरकार न्यू वेज कोड यानी नए श्रम कानून को लागू कर सकती है। 1 जुलाई के बाद इस नए कोड की सिफारिशें लागू होंगी तो आपके काम करने के वक्त से लेकर सैलरी की कैलकुलेशन में भी चेंज आ जाएगा। ऐसे में सवाल ये है कि काम करने के वक्त और वेतन को लेकर ये नया वेज कोड आखिर कहता क्या है।
मोदी सरकार का वेज कोड
साल 2019 में मोदी सरकार ने नया वेज कोड पास किया था। जिसे न्यू वेज कोड कहा जाता है। संसद के दोनों सदनों ने श्रम कानून की इन चार संहिताओं को पारित कर दिया है। केंद्र के अलावा राज्य सरकारों को भी इन संहिताओं, नियमों को अधिसूचित करना जरूरी है। इसके बाद ही ये नियम राज्यों में लागू हो पाएंगे। ये नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू होने थे, लेकिन राज्यों की तैयारी पूरी नहीं होने के कारण इन्हें टाल दिया गया।
अब इसके लागू होने के बाद से एक प्राइवेज कंपनी की इंप्लॉई की टेक होम सैलरी कम हो सकती है। कंपनियों को ज्यादा पीएफ का बोझ उठाना होगा। नए ड्राफ्ट कोड के मुताबिक मूल वेतन कुल वेतन का 50 फीसदी या ज्यादा होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों की सैलरी का स्ट्रक्चर बदल जाएगा। बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ और ग्रेच्युटी के लिए कटने वाला पैसा बढ़ जाएगा। इसमें जमा होने वाली रकम बेसिक सैलरी के अनुपात में होता है। अगर ऐसा होता है तो आपकी टेक होम सैलरी कम हो जाएगी। वहीं रिटायरमेंट पर मिलने वाला पीएफ ग्रैच्युटी का पैसा बढ़ जाएगा।
सरकार यह भी सरल बनाना चाहती है कि एक कर्मचारी अपने रोजगार के दौरान कितना अवकाश ले सकता है, साथ ही साथ कितने अवकाश को अगले वर्ष तक ले जाया जा सकता है और नौकरी के दौरान कितना अवकाश भुनाया जा सकता है। केंद्र सरकार नए श्रम कानूनों के तहत छुट्टी योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने की योजना बना रही है। एक वर्ष में छुट्टियों की मात्रा समान रहेगी, कर्मचारी अब 45 के बजाय हर 20 दिनों के काम के लिए छुट्टी अर्जित करेंगे। इसी तरह, कैरी फॉरवर्ड को आगे ले जाने की सीमा में कोई संशोधन करने की अनुशंसा नहीं की गई है,
जो कि 30 दिनों पर बनी हुई है। इसके अलावा, नए कर्मचारी 240 दिनों के बजाय 180 दिनों की ड्यूटी के बाद छुट्टी अर्जित करने के पात्र होंगे। केंद्र सरकार ने वर्क फ्रॉम होम को मान्यता दी है, जो कि सेवा उद्योग पर लागू होने वाले ड्राफ्ट मॉडल स्टैंडिंग ऑर्डर में, विशेष रूप से कोविड -19 महामारी के आगमन के बाद, सभी क्षेत्रों में आम प्रचलन होता जा रहा है।
काम करने के पुराने नियम क्या है।
पुराने नियम के अनुसार आप हफ्ते में यदि 5 दिन काम करते हैं तो आपको रोजाना 9 घंटे का काम करना होता है और हफ्ते में 2 दिन की छुट्टी होती है और यदि आप हफ्ते में 6 दिन काम करते हैं तब आपको रोजाना 8 घंटे का काम करना होता है और 1 दिन की छुट्टी मिलती है यह है पुराने काम करने के नियम।
नए लेबर कोड में नियमों में ये विकल्प भी रखा गया है कि जिस कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से फैसला ले सकते हैं। नए नियमों के तहत सरकार ने काम के घंटों को बढ़ाकर 12 तक करने को शामिल किया है। काम करने के घंटों की हफ्तों में अधिकतम सीमा 48 घंटे है, ऐसे में कामकाजी दिनों का दायरा पांच से घट सकता है। कोड के ड्राफ्ट रूल्स में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है। मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है। ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने की मनाही है। कर्मचारियों को हर 5 घंटे के काम के बाद आधा घंटे का आराम देना होगा।
रिपोर्टों से पता चलता है कि अब तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, मणिपुर, बिहार, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों सहित 23 राज्यों ने नए श्रम कानूनों के तहत नियम बनाए हैं। इन राज्यों ने मजदूरी 2019 पर नए कोड और औद्योगिक संबंध कोड 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति कोड 2020 के आधार पर राज्य श्रम कोड और नियम तैयार किए हैं, जो सभी द्वारा पारित किए गए हैं।
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