एक बार फिर सरकार ने किसानों के साथ धोखाधड़ी की
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। अखिल भारतीय किसान सभा ने आरोप लगाया है कि खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में मामूली बढ़ोतरी करके मोदी सरकार ने एक बार फिर किसानों के साथ धोखाधड़ी की है तथा एमएसपी के जरिए वादा किए गए उत्पादन लागत से अधिक रिटर्न को लेकर भ्रामक दावे कियें हैं। किसान सभा ने कहा है कि खरीफ 2022-23 के लिए घोषित एमएसपी में चावल, मक्का, अरहर, उड़द और मूंगफली के लिए एमएसपी में सिर्फ 7 फीसदी और बाजरा के लिए सिर्फ 8 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। अधिकांश फसलों में यह वृद्धि अर्थव्यवस्था में सामान्य मुद्रास्फीति को मुश्किल से ही कवर करती है। शुक्रवार को यहां जारी एक बयान में अ. भा. किसान सभा के अध्यक्ष अशोक ढवले तथा महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा है कि एमएसपी में ये मामूली वृद्धि तब की गई है, जब ईंधन और अन्य आदानों की उच्च कीमतों और उर्वरकों की आपूर्ति में भारी कमी और कीमतों में वृद्धि के कारण उत्पादन लागत में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले सीजन में भी, आपूर्ति की कमी के कारण किसानों को उर्वरकों की कालाबाजारी का बड़े पैमाने पर सामना करना पड़ा था। बेलारूस और रूस के खिलाफ अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंधों के कारण हाल के महीनों में स्थिति और खराब हो गई है।
उन्होंने कहा है कि खाद्य तेल और दाल जैसी वस्तुओं के लिए भारत आयात पर निर्भर है, जिनकी वैश्विक कीमतें बहुत अधिक बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में हमारी सरकार को अपने किसानों को लाभकारी मूल्य देकर आयात-निर्भरता कम करनी चाहिए, लेकिन वह ठीक इसके उल्टा चल रही है और विकसित देशों के किसानों को बहुत अधिक कीमत का भुगतान करने के लिए तैयार है। इस प्रकार सरकार हमारे देश के किसानों के साथ ही भेदभाव कर रही है।किसान सभा नेताओं ने कहा है कि केंद्र सरकार ने खरीफ 2022-23 के लिए उत्पादन लागत का आकलन सी-2 लागत के बजाय ए-2 लागत पर किया है, जिसमें किसानों के स्वयं के संसाधनों की लागत शामिल नहीं होती है। यह किसानों के साथ धोखा है, क्योंकि ए-2 लागत पर आधारित एमएसपी उत्पादन की कुल लागत को भी पूरी तरह से कवर नहीं करता है। उन्होंने कहा कि चूंकि देश के अधिकांश हिस्सों में कोई सरकारी खरीद नहीं है, इसलिए किसानों का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही इस मामूली एमएसपी का लाभ उठा पाएगा।
किसान सभा ने मांग की है कि सरकार स्वामीनाथन आयोग के सी2+50% के फार्मूले को गंभीरता से लागू करें, ताकि किसानों को उत्पादन की कुल लागत के 50 प्रतिशत रिटर्न का भुगतान किया जा सके ; दलहन, तिलहन और बाजरा के लिए सार्वजनिक खरीद की व्यवस्था की जाए, ताकि किसानों को इन फसलों को और अधिक उगाने के लिए प्रोत्साहित करके दालों और तिलहन के लिए भारत की आयात-निर्भरता को कम किया जा सके तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्य तेल और दालों को शामिल किया जाये, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने और देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी। किसान सभा ने देश भर के किसानों का आह्वान किया है कि वे मोदी सरकार द्वारा एमएसपी पर किये जा रहे धोखाधड़ी का विरोध करें और अपनी फसलों के लिए लाभकारी एमएसपी के वैधानिक अधिकार की मांग के लिए एक बार फिर से एकजुट होकर विरोध कार्यवाहियां आयोजित करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.