देश की पहली आरआरटीएस ट्रेन चलाने का लक्ष्य
अकांशु उपाध्याय/अश्वनी उपाध्याय
नई दिल्ली/गाजियाबाद। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के प्रायोरिटी सेक्शन पर मार्च 2023 तक देश की पहली आरआरटीएस ट्रेन चलाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एनसीआरटीएस तेजी से कार्य कर रहा है। इस कॉरिडोर पर चलने वाली आरआरटीएस ट्रेनें गुजरात के सावली से जल्द गाजियाबाद स्थित दुहाई डिपो पहुंचेंगी। दुहाई डिपो में इनके लिए ट्रैक बनकर तैयार हो चुके हैं और ट्रेन की टेस्टिंग के लिए भी पूरी तैयारी है। आरआरटीएस ट्रेनों के संचालन के लिए दुहाई डिपो में ही प्रशासनिक भवन बनाया गया है।
17 किमी लंबे प्रायोरिटी सेक्शन में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई आरआरटीएस स्टेशन और दुहाई डिपो हैं। आरआरटीएस ट्रेनों के लिए दुहाई डिपो में 11 स्टेबलिंग लाइन, 2 वर्कशॉप लाइन, 3 इंटरनल-बे लाइन (आईबीएल) और एक हेवी इंटरनल क्लीनिंग (एचईसी) लाइन बनाई जा रही हैं, जिनमें एक वर्कशॉप और एक आईबीएल लाइन का निर्माण अंतिम चरण में हैं, जबकि बाकी लाइनों का निर्माण पूरा हो चुका है।
स्टेबलिंग लाइनों का प्रयोग ट्रेनों के खड़ा करने के लिए किया जाता है। वर्कशॉप लाइनों पर ट्रेनों के रख रखाव और तकनीकी खराबियों को ठीक किया जाता है। आईबीएल लाइनें ट्रेनों की टेस्टिंग के लिए बनाई जाती हैं और हेवी इंटरनल क्लीनिंग लाइन पर ट्रेनों के भीतर की सफाई की जाती है।
आरआरटीएस ट्रेनों को जनता के लिए ऑपरेशनल करने से पहले इसकी कई प्रकार की टेस्टिंग की जाती है। साथ ही सिग्नलिंग, रोलिंग स्टॉक और सतत विद्युत सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए इसे कई प्रक्रियाओं द्वारा जांचा-परखा जाता है। सभी प्रक्रियाओं की सफल टेस्टिंग के बाद प्री-ऑपरेशनल ट्रायल होता है, जिसमें सफल होने के बाद ही ट्रेन को यात्रियों के लिए ऑपरेशनल किया जाता है।
दुहाई डिपो में ट्रेनों के लिए रूफ शेड लगाने, अंडरपास और बाउंड्री वॉल के निर्माण समेत अन्य कई कार्य तेजी से चल रहे हैं। इसके साथ ही ट्रेनों के लिए विद्युत आपूर्ति के लिए ओएचई लगाने का काम जल्द शुरू होने वाला है। डिपो में ओएचई लगाने के लिए पोल और केंटीलिवर लगाए जा चुके हैं। जल्द ही पूरा डिपो ट्रेनों के संचालन के लिए तैयार हो जाएगा।
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