'नवरात्रि' का आठवां दिन, माता महागौरी की पूजा
सरस्वती उपाध्याय
चैत्र नवरात्रि को हिंदू धर्म में विशेष माना गया है। नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष उपासना का विधान है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां की पूजा का जीवन में विशेष फल प्राप्त होता हैं। 9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। इसे महा अष्टमी भी कहा जाता है। नवरात्र के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा विशेष कल्याणकारी मानी जाती है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व होता है। नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है।
इनका ऊपरी दाहिना हाथ अभय मुद्रा में रहता है और निचले हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू जबकि नीचे वाला हाथ शान्त मुद्रा में है। मां का प्रिय फूल रात की रानी है और राहु ग्रह पर इनका आधिपत्य रहता है। इसलिए राहु संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए महागौरी की पूजा करनी चाहिए। जो लोग अपने अन्न-धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि करना चाहते हैं, उन्हें इस दिन महागौरी की उपासना जरूर करनी चाहिए।
माता महागौरी की पूजा विधि...
अष्टमी के दिन सुबह सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मंदिर में लकड़ी की चौकी पर महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें। मां के आगे दीप जलाएं और फल, फूल, प्रसाद का अर्पण करें। मां की आरती के बाद कन्या पूजन करें।
आज महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के महागौरी के निमित्त उपवास किया जाता है। लेकिन धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 67 पर चर्चा में ये उल्लेख भी मिलता है कि पुत्रवान व्रती इस दिन उपवास नहीं करते। साथ ही वह नवमी तिथि को पारण न करके अष्टमी को ही व्रत का पारण कर लेते हैं।
माता महागौरी का मंत्र...
सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।
माता महागौरी की आरती...
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.