हस्तरेखा शास्त्र, रेखाओं व पर्वतों को ज्यादा महत्व
सरस्वती उपाध्याय
हस्तरेखा शास्त्र में कुछ रेखाओं और पर्वतों को ज्यादा महत्व दिया गया है। क्योंकि ये जीवन के अहम पहलुओं को प्रभावित करते हैं। चंद्र क्षेत्र भी इनमें से एक है। चंद्रमा का संबंध मन से है और यदि यह अशुभ स्थिति में हो तो न केवल मन को, बल्कि पूरे शरीर और आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर डालता है। ऐसे लोगों का बीमारियों पर अच्छा-खासा पैसा खर्च होता है। वहीं शुभ चंद्रमा जिंदगी बना देता है।
हथेली में चंद्र की स्थिति और उसका प्रभाव
मस्तिष्क रेखा के नीचे का भाग चंद्र पर्वत होता है। यह मणिबंध तक जाता है।
यदि चंद्र पर्वत गोल हो और उस पर कोई तिल या धब्बा न हो तो यह शुभ होता है। वहीं, इसके उलट दबा हुआ चंद्र पर्वत व्यक्ति के जीवन में संघर्ष का कारण बनता है।
यदि चंद्र पर्वत से निकलकर कोई रेखा बुध पर्वत तक जाए तो उसे देव रेखा कहते है। ऐसे लोग भगवान की कृपा से खूब सफलता पाते हैं।
वहीं, देव रेखा होने के साथ-साथ भाग्य रेखा सूर्य और शनि पर्वत के बीच से जाती हो तो व्यक्ति अपने कर्मों के कारण असफलता पाता है। ऐसे लोग गलत संगति में पड़ कर अपना सबकुछ गंवा देते हैं।
चंद्र क्षेत्र से किसी रेखा का मंगल पर्वत तक जाना अपार धन-पद-प्रतिष्ठा दिलाता है। हालांकि, इन लोगों को जलाशयों से बचकर रहना चाहिए।
यदि चंद्र पर्वत से कोई रेखा निकलकर सूर्य पर्वत तक जाए तो ऐसे लोग पर मां सरस्वती और मां लक्ष्मी दोनों की कृपा होती है। वे अपने ज्ञान से खूब नाम कमाते हैं और धनवान भी बनते हैं। इन लोगों में मदद की भावना होती है।
शुक्र पर्वत से किसी रेखा का निकलना और उसका जीवन रेखा को काटते हुए चंद्र पर्वत पर पहुंचना अच्छा नहीं होता है। ऐसे लोगों को न केवल जीवन में खूब संघर्ष करना पड़ता है, बल्कि वे धोखा भी खाते हैं।
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