रविवार, 24 अप्रैल 2022

टेंपरेचर 40 डिग्री सेल्सियस पार, नो वर्कआउट

टेंपरेचर 40 डिग्री सेल्सियस पार, नो वर्कआउट 
सरस्वती उपाध्याय 
 40-42 डिग्री टेंपरेचर में यदि आपको रनिंग और साइकिलिंग का शौक है तो अलर्ट हो जाएं। तेज गर्मी में रनिंग और साइकिलिंग करने से बॉडी डिहाइड्रेट हो जाती है। अधिक पसीने से बॉडी में इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस नहीं रहता। तेजी से सोडियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम का लेवल गिरता जाता है। जबकि ये इलेक्ट्रोलाइट्स हार्ट और दूसरे महत्वपूर्ण अंगों के ठीक से काम करने के लिए बहुत जरूरी है। डॉक्टरों का कहना है कि जब आपके शरीर में फ्लूड की कमी होती है तो खून का गाढ़ापन बढ़ जाता है। यानी ब्लड क्लॉट बनने की भी आशंका रहती है। वहीं तेज धूप में हीट स्ट्रोक भी होता है। सामान्य रूप से यदि बॉडी का टेंपरेचर 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाए और ये कूल न हो तब ऐसी स्थिति खतरनाक होती है। बेहोश होना, नाक से खून आना, हार्ट बीट बढ़ जाना इसके परिणाम हो सकते हैं।
रांची में साइकिलिंग का एक पॉपुलर ग्रुप है साइक्लोपीडिया। इस ग्रुप के आठ सदस्यों में से एक चंद्रशेखर किंगर बताते हैं कि हाल ही में उनकी टीम ने खरसीदाग से रेमटा लेक तक साइकिलिंग का टारगेट रखा। ये टारगेट पूरा भी किया। सभी सदस्य सुबह 8:00 बजे पहुंच गए। वहां से पास में ही दशम फॉल है। चंद्रशेखर किंगर कहते हैं, “हमने तय किया कि दशम चलेंगे। दशम तक फिर से साइकिलिंग की। वहां कुछ देर रहने के बाद जब रांची के लिए निकले तो हम सबकी हालत खराब हो गई। दशम फॉल से रांची की ओर बढ़ने पर काफी चढ़ाई है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़े वैसे-वैसे हमारा शरीर जवाब देते गया। टेंपरेचर 41 डिग्री से ऊपर था। हर आधे घंटे पर हम रुक कर पानी पीते, आराम करते और तब आगे बढ़ते। हमारे पूरे शरीर में नमक और पानी की कमी हो रही थी। बड़ी मुश्किल से हम लोग दिन के 1 बजे रांची पहुंच सके।” चंद्रशेखर बताते हैं कि गर्मी के दिनों में यह न दिखाएं कि हमें अपना बेस्ट देना है, टारगेट को पूरा करना है, बल्कि जितना आपका शरीर बर्दाश्त करता है उतनी है साइकिलिंग करें।
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. देवेंद्र कुमार बताते हैं कि सुबह 8 से 9 बजे तक रनिंग या साइकिलिंग खत्म कर लेना चाहिए। जब भी बाहर निकलें, पहले उसका शेड्यूल बनाएं। पर्याप्त मात्रा में ओआरएस का घोल लें। साथ में फ्रूट जूस भी पीना चाहिए। आजकल साइकिलिस्ट या रनर अपनी पीठ पर वाटर बैग रखते हैं। साइकिलिस्ट तो वाटर बैग में 10 लीटर पानी तक रखते हैं। इस वाटर बैग से एक पाइप लगा होता है। इस पाइप के जरिए थोड़ा-थोड़ा करके मुंह में पानी ले सकते हैं। यही नहीं, साइकिलिंग करने के बाद वार्मअप करें। स्ट्रैचिंग और थोड़ा बहुत एक्सरसाइज करने से शरीर को थकावट नहीं होगी।
दिल्ली के शादीपुर स्थित आरएलकेसी मेट्रो हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राकेश कुमार यादव कहते हैं, “इस मौसम में लंबी दूरी की रनिंग करने से बचें। साइकिलिंग के लिए उतार-चढ़ाव वाले इलाके में न जाएं। तेज गर्मी की वजह से शरीर डिहाइड्रेट होगा ही। साथ में लंग्स पर भी बुरा असर पड़ेगा।
इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर के बेहतर ढंग से फंक्शन करने के लिए जरूरी है। फल और सब्जियां इलेक्ट्रोलाइट्स के सबसे अच्छे सोर्स हैं। कुछ कॉमन इलेक्ट्रोलाइट्स हैं जैसे सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम और बाइकार्बोनेट। शरीर में यदि इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलित है तो इसके कारण शरीर में ऐंठन, बेहोशी, दौरा पड़ना या दिल की धड़कन बढ़ सकती है। बुजुर्गों में इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलन का रिस्क अधिक होता है। इलेक्ट्रोलाइट्स ऐसे केमिकल होते हैं जो पानी में घुलने के बाद मांसपेशियों को रेगुलेट करते हैं। बॉडी को हाइड्रेट करना, ब्लड एसिडिटी और प्रेशर को बैलेंस रखना भी इसका काम है।

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